क्या गाने की आत्मा होती है मेलोडी? मिथुन का नजरिया

सारांश
Key Takeaways
- मेलोडी गाने की आत्मा होती है।
- गाने को रद्द नहीं किया जाता, बल्कि होल्ड पर रखा जाता है।
- संगीत एक प्रक्रिया है जो लोगों की पसंद पर निर्भर करती है।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध संगीतकार मिथुन ने साझा किया कि वह अपने गानों को कभी भी रद्द नहीं करते, बल्कि उन्हें कुछ समय के लिए होल्ड पर रख देते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वह गाने से असंतुष्ट हैं, बल्कि इसके पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं। सिंगर का मानना है कि मेलोडी एक गाने की आत्मा होती है, इसके बिना गाने का निर्माण संभव नहीं है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मिथुन ने कहा, “मैं गानों को रद्द नहीं करता, लेकिन कई बार कुछ आइडियाज और गाने विभिन्न कारणों से होल्ड पर चले जाते हैं। यह सिर्फ मेरी असंतोष की वजह से नहीं होता।”
मिथुन ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म ‘जहर’ में ‘वो लम्हें’ और ‘कल्युग’ में ‘आदत’ जैसे रीक्रिएटेड गानों से की थी। वर्ष 2007 में रिलीज हुई फिल्म ‘अनवर’ के लिए उनके कंपोज किए गाने ‘तोसे नैना लागे’ और ‘मौला मेरे’ आज भी बेहद लोकप्रिय हैं।
उन्होंने गैर-फिल्मी एल्बम जैसे आतिफ असलम के ‘दूरी’ में ‘कुछ इस तरह’ और अभिजीत सावंत के ‘एक शख्स’ जैसे गाने भी बनाए। फिल्म ‘मर्डर 2’ के लिए ‘ऐ खुदा’ और ‘फिर मोहब्बत’ जैसे गाने ने अरिजीत सिंह को पहली बार सुर्खियों में लाया।
मिथुन ने ‘जिस्म 2’, ‘यारियां’, ‘एक विलेन’, ‘सनम रे’, ‘की एंड का’, ‘शिवाय’, ‘हाफ गर्लफ्रेंड’, ‘बागी 2’, ‘कबीर सिंह’, ‘खुदा हाफिज’, ‘राधे श्याम’ और ‘गदर 2’ जैसी फिल्मों के लिए भी संगीत दिया है।
आज के फिल्मी संगीत में मेलोडी की कमी के सवाल पर मिथुन ने कहा, “संगीत बनाना और सुनना एक प्रक्रिया है। हर गाने की एक आत्मा होती है। यह लोगों की पसंद और वे इसे कैसे लेते हैं इस पर निर्भर करता है। लेकिन बिना मेलोडी के कोई गाना बन ही नहीं सकता।”
हाल ही में मिथुन ने अपनी नई एल्बम ‘मास्टर ऑफ मेलोडी’ से गाना ‘चांदनिया’ रिलीज किया, जिसे विशाल मिश्रा ने गाया और सईद कादरी ने लिखा है। उनकी पिछली रिलीज ‘सैयारा’ के गाने ‘धुन’ को भी खूब पसंद किया जा रहा है।