क्या 'फ्लॉप मास्टर जनरल' से 'महानायक' बनने का सफर जानना चाहते हैं? उत्तम कुमार की कहानी

Click to start listening
क्या 'फ्लॉप मास्टर जनरल' से 'महानायक' बनने का सफर जानना चाहते हैं? उत्तम कुमार की कहानी

सारांश

उत्तम कुमार का सफर 'फ्लॉप मास्टर जनरल' से लेकर 'महानायक' तक दर्शाता है कि किस तरह संघर्ष और दृढ़ता से उन्होंने अपनी पहचान बनाई। जानिए उनकी अनोखी कहानी और योगदान बांग्ला सिनेमा में।

Key Takeaways

  • उत्तम कुमार का असली नाम अरुण कुमार चटर्जी था।
  • उन्हें 'फ्लॉप मास्टर जनरल' कहा जाता था।
  • उनकी महानायक बनने की कहानी प्रेरणादायक है।
  • उन्होंने सुचित्रा सेन के साथ कई सफल फिल्में कीं।
  • उत्तम कुमार का योगदान बांग्ला सिनेमा में अद्वितीय है।

मुंबई, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जब बात बांग्ला सिनेमा की होती है, तो सबसे पहले उत्तम कुमार का चेहरा याद आता है। अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया। उनकी सात फिल्में एक के बाद एक असफल रहीं, जिसके कारण उन्हें 'फ्लॉप मास्टर जनरल' का उपनाम मिल गया था। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी और एक दृढ़ संकल्प के साथ वापसी की, और कई सफल फिल्में दीं। आज वे न केवल बांग्ला, बल्कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में 'महानायक' के रूप में जाने जाते हैं।

उत्तम कुमार का असली नाम अरुण कुमार चटर्जी है। उनका जन्म 3 सितंबर 1926 को कोलकाता के अहिरीटोला क्षेत्र में हुआ। शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट में नौकरी की, लेकिन थिएटर और अभिनय का जुनून उन्हें मंच की ओर खींच लाया। 1948 में उन्होंने फिल्म 'दृष्टिदान' से सिनेमा में कदम रखा, लेकिन यह फिल्म असफल रही। इसके बाद, लगातार छह और फिल्में भी असफल रहीं, जिसके कारण लोग उन्हें 'फ्लॉप मास्टर जनरल' कहने लगे।

इन सभी संघर्षों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और 1952 में आई फिल्म 'बासु परिवार' से अपनी किस्मत बदल दी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1966 में आई फिल्म 'नायक' ने उनके करियर को नई ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया। इस फिल्म में उन्होंने अरिंदम मुखर्जी का किरदार निभाया, जो उनके असली जीवन के संघर्षों से मेल खाता था। निर्देशक सत्यजीत रे ने इस फिल्म की काफी प्रशंसा की थी और कहा था कि उत्तम कुमार ही सच्चे मायनों में महानायक हैं।

इसके बाद, 'महानायक' शब्द उत्तम कुमार की पहचान बन गया। इस प्रकार 'फ्लॉप मास्टर जनरल' का टैग हट गया और उन्हें 'महानायक' के उपाधि मिली।

बंगाली सिनेमा में उनकी सुचित्रा सेन के साथ जोड़ी को सबसे अधिक सराहा गया। उन्होंने सुचित्रा सेन के साथ 'शरेय छुअत्तर', 'सप्तपदी', 'अमर प्रेम', 'हरानो सूर' जैसे कुल 30 फिल्मों में काम किया, जिनमें से 29 हिट रहीं। उत्तम कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर सुचित्रा सेन नहीं होतीं, तो वे कभी भी उत्तम कुमार नहीं बन पाते।

बांग्ला फिल्मों में पहचान बनाने के बाद, उन्होंने हिंदी फिल्मों में भी कदम रखा। उनकी सबसे प्रसिद्ध हिंदी फिल्म 'अमानुष' रही, जो 1975 में आई थी, जिसमें उनके अभिनय की बहुत सराहना हुई। यह फिल्म शक्ति सामंत द्वारा निर्देशित थी और बंगाली तथा हिंदी दोनों भाषाओं में बनी थी। इसके अलावा, उन्होंने 'आनंद आश्रम', 'छोटी सी मुलाकात', और 'दूरियां' जैसी फिल्मों में भी काम किया।

उत्तम कुमार को उनके शानदार अभिनय के लिए कई बड़े पुरस्कार मिले। 1967 में उन्हें 'एंटनी फिरंगी' और 'चिड़ियाखाना' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ। 2009 में उनके सम्मान में भारतीय डाक विभाग ने डाक टिकट जारी किया और कोलकाता मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर 'महानायक उत्तम कुमार मेट्रो स्टेशन' रखा गया।

23 जुलाई 1980 को, उत्तम कुमार को फिल्म 'ओगो बोधु शुंडोरी' की शूटिंग के दौरान सीने में दर्द हुआ। उन्होंने खुद कार चलाकर अस्पताल पहुंचे। इलाज के बावजूद, 24 जुलाई 1980 को, 53 वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

Point of View

यदि हम अपने सपनों का पीछा करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है और उनकी यात्रा प्रेरणादायक है।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

उत्तम कुमार का असली नाम क्या था?
उत्तम कुमार का असली नाम अरुण कुमार चटर्जी था।
उत्तम कुमार को किस फिल्म से सफलता मिली?
उत्तम कुमार को 1952 में आई फिल्म 'बासु परिवार' से सफलता मिली।
उत्तम कुमार की प्रसिद्ध जोड़ी किसके साथ थी?
उत्तम कुमार की प्रसिद्ध जोड़ी सुचित्रा सेन के साथ थी।
उत्तम कुमार ने हिंदी सिनेमा में कौन सी प्रसिद्ध फिल्म की?
उत्तम कुमार ने हिंदी सिनेमा में 1975 में आई फिल्म 'अमानुष' की।
उत्तम कुमार का निधन कब हुआ?
उत्तम कुमार का निधन 24 जुलाई 1980 को हुआ।