क्या मुमताज बॉलीवुड की 'स्टंट क्वीन' से सिल्वर स्क्रीन की सुपरस्टार बन गईं?

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क्या मुमताज बॉलीवुड की 'स्टंट क्वीन' से सिल्वर स्क्रीन की सुपरस्टार बन गईं?

सारांश

मुमताज का सफर, जो एक साधारण चाइल्ड आर्टिस्ट से लेकर बॉलीवुड की स्टंट क्वीन और सुपरस्टार तक पहुंचा। उनके संघर्ष और सफलताओं की कहानी, जो हर किसी को प्रेरित करती है।

Key Takeaways

  • मुमताज का सफर संघर्ष और सफलता की कहानी है।
  • उन्होंने स्टंट फिल्मों से लेकर रोमांटिक किरदारों तक की भूमिकाएँ निभाईं।
  • उनकी केमिस्ट्री राजेश खन्ना के साथ अद्भुत थी।
  • उन्होंने कैंसर के खिलाफ लड़ाई लड़ी और प्रेरणा दी।
  • उनकी मेहनत और संघर्ष हर किसी के लिए प्रेरणा है।

मुंबई, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जब भी हम हिंदी सिनेमा में 60-70 के दशक की सुंदर अभिनेत्रियों की बात करते हैं, तो मुमताज का नाम सबसे पहले आता है। उनका फिल्मी सफर किसी कहानी से कम नहीं है। उनकी शुरुआत साधारण थी, लेकिन रास्ते में कई चुनौतियाँ थीं, और अंततः उन्हें एक चकाचौंध भरी जिंदगी मिली। पहले लोग उन्हें केवल स्टंट फिल्मों की 'हीरोइन फॉर हायर' समझते थे।

31 जुलाई 1947 को मुंबई में जन्मी मुमताज का असली नाम मुमताज बेगम जहान देहलवी था। उन्होंने 11 साल की उम्र में एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में फिल्मी दुनिया में कदम रखा। उनके आत्मविश्वास और मेहनत ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।

उनके करियर का पहला बड़ा बदलाव 1963 में आई फिल्म 'फौलाद' से आया, जिसमें उन्होंने मशहूर पहलवान और अभिनेता दारा सिंह के साथ लीड रोल निभाया। यह एक एक्शन फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने 'सिकंदर-ए-आजम', 'राका', 'वीर भीमसेन', 'टार्जन कम्स टू देल्ही', 'रुस्तम-ए-हिंद', और 'डाकू मंगल सिंह' जैसी फिल्मों में दारा सिंह के साथ काम किया।

इन फिल्मों में मुमताज तलवारें चलाते और स्टंट करते हुए नजर आईं। उन्होंने दारा सिंह के साथ लगभग 16 फिल्में कीं, जिनमें से 12 सफल रहीं। इसने उन्हें 'स्टंट फिल्मों की नायिका' का टैग दिलाया।

हालांकि, इस टैग ने उन्हें बड़े बैनर्स और बड़े सितारों से दूर कर दिया। लेकिन मुमताज ने हार नहीं मानी और 1967 में 'राम और श्याम' और 1969 में 'दो रास्ते' जैसी फिल्मों से साबित किया कि वे इमोशन और रोमांस में भी बेहतरीन हैं।

इसके बाद 'बंधन', 'सच्चा झूठा', 'खिलौना', 'रोटी', 'चोर मचाए शोर', और 'आपकी कसम' जैसी फिल्मों में उन्होंने लीड रोल निभाया और सुपरहिट परफॉर्मेंस दी।

1970 में फिल्म 'खिलौना' में अपनी दमदार एक्टिंग के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। इसके अतिरिक्त, 1996 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिला।

मुमताज का सबसे प्रसिद्ध जोड़ी राजेश खन्ना के साथ रही। दोनों ने आठ फिल्मों में साथ काम किया, और हर फिल्म हिटकेमिस्ट्री ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई, खासकर 'प्रेम कहानी' और 'आपकी कसम' जैसी फिल्मों में।

1974 में जब मुमताज अपने करियर के शीर्ष पर थीं, उन्होंने मयूर मधवानी से शादी की और फिल्मों से दूरी बना ली। शादी के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए इंडस्ट्री से दूरी बनाई और परिवार को प्राथमिकता दी।

1990 में मुमताज ने फिल्म 'आंधियां' के साथ वापसी की, लेकिन यह फिल्म सफल नहीं रही। इसके बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया से संन्यास ले लिया, लेकिन उनके जीवन में एक गंभीर मोड़ आया, जब उन्हें कैंसर का पता चला। उन्होंने तुरंत इलाज करवाने का निर्णय लिया और अमेरिका में कीमोथैरेपी और सर्जरी का कठिन इलाज

मुमताज ने एक बार कहा था, "मैं हर उस महिला को बताना चाहती हूं, जो कैंसर से जूझ रही है कि यह अंत नहीं है। अगर मुझ जैसी औरत इससे उबर सकती है, तो कोई भी कर सकता है। हिम्मत मत हारो, जिंदगी बहुत खूबसूरत है।"

Point of View

NationPress
31/07/2025

Frequently Asked Questions

मुमताज का असली नाम क्या है?
मुमताज का असली नाम मुमताज बेगम जहान देहलवी है।
मुमताज ने किस फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की?
मुमताज ने 11 साल की उम्र में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में फिल्मी दुनिया में कदम रखा।
मुमताज को किस फिल्म के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला?
उन्हें 1970 में फिल्म 'खिलौना' के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला।
मुमताज का सबसे सफल जोड़ी कौन था?
उनका सबसे सफल जोड़ी राजेश खन्ना के साथ रहा।
मुमताज ने कैंसर से कैसे लड़ाई की?
उन्होंने अमेरिका में कीमोथैरेपी और सर्जरी का इलाज करवाया और मानसिकता से कभी हार नहीं मानी।