क्या नरेंद्र चंचल ने राज कपूर के सामने बुल्ले शाह की 'काफिया' गाई थी?

सारांश
Key Takeaways
- नरेंद्र चंचल की मधुर आवाज ने उन्हें बॉलीवुड में प्रसिद्ध किया।
- उन्होंने भक्ति गीतों के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
- राज कपूर ने उनकी आवाज को सुनकर उन्हें अपनी फिल्म में गाने का मौका दिया।
- उनकी भक्ति और साधगी ने उन्हें लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान दिलाया।
- उनके भजन आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।
मुंबई, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नरेंद्र चंचल का नाम भारतीय संगीत की दुनिया में उनकी मधुर आवाज और भक्ति गीतों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। वह न केवल फिल्मों के प्रसिद्ध गायक थे, बल्कि मां दुर्गा के जागरणों के सबसे चर्चित भजन गायकों में से एक थे। उनकी आवाज में एक अद्भुत जादू था, जो लोगों के दिलों को छू जाता था।
चंचल का संगीत सफर आसान नहीं रहा, लेकिन उनकी मेहनत, ईमानदारी और भक्ति ने उन्हें ऊंचाइयों तक पहुंचाया। खास बात यह है कि उनकी सफलता का एक बड़ा मौका एक बैसाखी मेले के दौरान आया, जहां उन्होंने राज कपूर जैसे महान फिल्मकार को अपनी आवाज से मंत्रमुग्ध कर दिया। यही घटना उनकी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण मोड़ बनी।
नरेंद्र चंचल का जन्म १६ अक्टूबर १९४० को अमृतसर के नमक मंडी क्षेत्र में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका परिवार धार्मिक था और उनकी माता मां दुर्गा की भक्त थीं, जिसके कारण बचपन से ही उनके मन में माता रानी के प्रति श्रद्धा थी। चंचल का झुकाव हमेशा से संगीत की ओर रहा है। उन्होंने अपनी पहली संगीत शिक्षा मां से ही प्राप्त की और बाद में संगीतज्ञ प्रेम त्रिखा से भी प्रशिक्षण लिया।
नरेंद्र चंचल ने शुरुआत में अमृतसर और चंडीगढ़ में छोटे-छोटे संगीत कार्यक्रमों में भजन गाने शुरू किए। उनकी गायकी में जो मिठास और भक्ति थी, वह धीरे-धीरे लोगों के दिलों में घर करने लगी। लेकिन उनकी जिंदगी में अहम मोड़ तब आया, जब सन् १९७२ में वह मुंबई गए। वहां पंजाबियों की एक संस्था के बैसाखी समारोह में वह बुल्ले शाह की काफिया गा रहे थे। इस समारोह में राज कपूर भी मुख्य अतिथि थे, जिन्होंने नरेंद्र की आवाज को सुनकर अगले दिन उन्हें अपने आरके स्टूडियो बुला लिया। राज कपूर को संगीत की गहरी समझ थी और उन्होंने तुरंत ही नरेंद्र को अपनी फिल्म 'बॉबी' में गीत गाने का अवसर दिया।
फिल्म 'बॉबी' में नरेंद्र चंचल का गाया हुआ गीत 'बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो' हिट हो गया और वे रातोंरात एक स्टार बन गए। यह गीत लोगों के दिलों में घर कर गया और नरेंद्र की आवाज हर जगह गूंजने लगी। इस गीत ने उन्हें न केवल फिल्मी दुनिया में पहचान दी, बल्कि उनकी आवाज की खूबसूरती और गायकी की मिठास को भी सभी ने सराहा। 'बॉबी' के बाद, नरेंद्र चंचल के पास फिल्मों के कई ऑफर आने लगे और वे जल्दी ही बॉलीवुड के पसंदीदा गायक बन गए। हालांकि, उन्होंने अपने भक्ति गीतों को भी नहीं छोड़ा और मां दुर्गा की भेंट गाना जारी रखा।
नरेंद्र चंचल ने मां दुर्गा के जागरणों को एक नई पहचान दी। उनके भजन और भेंट इतनी लोकप्रिय हुईं कि जागरण का रुख गांवों से शहरों तक और फिर विदेशों तक हो गया। उनके भजनों में जो भक्ति और आत्मीयता थी, वह लोगों को उनके करीब ले आई। चंचल का नाम जागरण के साथ जुड़ गया था। लोग उनके बिना जागरण का आयोजन अधूरा समझते थे। उन्होंने अपनी गायकी से एक गायक के रूप में ही नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में भी लोगों के दिलों में जगह बनाई।
नरेंद्र चंचल को कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए, जिनमें फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल है। उन्होंने अपने करियर में जो सम्मान और प्यार पाया, वह उनकी सादगी और सरलता का नतीजा था। वे हमेशा अपने फैंस के करीब रहे और अपनी लोकप्रियता को कभी अहंकार नहीं बनने दिया।
२२ जनवरी २०२१ को उनका निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कई अन्य दिग्गजों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी।