क्या पंकज धीर ने अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी को पॉपुलैरिटी पोल में टक्कर दी थी, हासिल किया था तीसरा स्थान?

सारांश
Key Takeaways
- पंकज धीर का कर्ण का किरदार भारतीय टेलीविजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- उनकी पॉपुलैरिटी ने उन्हें तीसरे स्थान पर लाकर खड़ा किया।
- किरदार निभाने से पहले उन्हें कर्ण के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
- पंकज के संघर्ष और सफलता की कहानी प्रेरणादायक है।
- महाभारत में कर्ण की मौत ने दर्शकों को गहरे दुख में डाल दिया।
दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध टेलीविजन धारावाहिक 'महाभारत' में कर्ण की भूमिका निभाने वाले मशहूर अभिनेता पंकज धीर का निधन हो गया है। वह कैंसर की बीमारी से ग्रस्त थे और बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
पंकज धीर को आज भी बीआर चोपड़ा की महाभारत में कर्ण के अद्वितीय अभिनय के लिए पहचाना जाता है। उनकी डायलॉग डिलीवरी और चेहरे के भावों ने दर्शकों का दिल जीत लिया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्ण का किरदार निभाने से पहले पंकज को इस पात्र के बारे में कुछ भी नहीं पता था?
महाभारत में कर्ण का किरदार निभाने से पहले, पंकज को अर्जुन का रोल ऑफर किया गया था। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह लगभग 3-4 महीनों तक मुंबई में अर्जुन बनने का प्रयास कर रहे थे। पंकज की कद-काठी और चेहरे के अदाकारी के कारण उन्हें यह भूमिका मिली। लेकिन चार महीने बाद उन्हें बुलाकर कर्ण का रोल निभाने को कहा गया। प्रारंभ में, पंकज ने कर्ण का किरदार निभाने से इंकार किया क्योंकि उन्हें अपनी मूछें हटानी थीं। लेकिन लोगों के कहने पर उन्होंने इस किरदार के लिए हां कर दी।
एक पुराने इंटरव्यू में पंकज ने बताया कि कर्ण का किरदार निभाने से उनकी ज़िंदगी में बदलाव आया और उन्हें इतनी पॉपुलैरिटी मिली कि पॉपुलैरिटी पोल में वह तीसरे स्थान पर थे। पहले और दूसरे स्थान पर राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन थे।
हालांकि पंकज ने कर्ण का रोल स्वीकार कर लिया, लेकिन उनका उच्चारण बिल्कुल शुद्ध नहीं था और वह कर्ण के बारे में कुछ नहीं जानते थे। उन्होंने कहा, "मुझे कर्ण के बारे में कुछ नहीं पता था, मैं बंबई का लड़का था।" इतना ही नहीं, संस्कृत के शब्दों का ज्ञान न होने के कारण, पहले दिन सेट पर उनके लिए डायलॉग बोलना मुश्किल हो गया। इसके बाद उन्हें अपने उच्चारण को सुधारने के लिए अखबार और किताब पढ़ने की सलाह दी गई।
यह भी उल्लेखनीय है कि जब महाभारत में कर्ण का निधन हुआ, तो लोग इतने दुखी हुए कि बस्तर के एक गांव में हजारों लोगों ने अपना सिर मुंडवा लिया था और अभिनेता खुद उनसे मिलने के लिए गए थे।