क्या परेश रावल ने 'द ताज स्टोरी' विवाद पर सफाई दी है?

सारांश
Key Takeaways
- फिल्म किसी भी धार्मिक मुद्दे से जुड़ी नहीं है।
- निर्माताओं ने विवादित पोस्टर हटा दिया है।
- फिल्म केवल ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है।
मुंबई, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड अभिनेता परेश रावल की आगामी फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ को लेकर उठे विवाद पर फिल्म के निर्माताओं ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से स्पष्ट किया है कि यह फिल्म किसी भी धार्मिक मुद्दे से संबंधित नहीं है।
उन्होंने दर्शकों से अपील की है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले थोड़ा धैर्य रखें।
अभिनेता परेश रावल ने अपने एक्स हैंडल पर एक बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा, "फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ के निर्माता स्पष्ट करते हैं कि यह फिल्म किसी भी धार्मिक विवाद से जुड़ी नहीं है और न ही यह दावा करती है कि ताजमहल के भीतर कोई शिव मंदिर है। फिल्म केवल ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है। हम दर्शकों से अनुरोध करते हैं कि वे फिल्म देखें और स्वयं अपनी राय बनाएं। धन्यवाद, स्वर्णिम ग्लोबल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड।"
यह स्पष्टीकरण तब आया जब फिल्म के एक पोस्टर को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था। इस पोस्टर में परेश रावल ताजमहल के गुंबद को पकड़े हुए दिखाई दे रहे थे और अंदर शिव की मूर्ति रखी दिख रही थी। इसके चलते सोशल मीडिया पर लोगों ने फिल्म को ताजमहल को शिव मंदिर बताने वाले विवादास्पद दावों से जोड़ा, जबकि यह सच नहीं है।
फिल्म किसी विवाद में न फंस जाए, इसलिए निर्माताओं ने यह स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने अब विवादित पोस्टर को सोशल मीडिया से हटा लिया है। इसे परेश रावल ने भी अपनी 'एक्स' टाइमलाइन पर साझा किया था।
पोस्टर पर लिखा था, "क्या होगा अगर आपको जो कुछ भी सिखाया गया है वह सब झूठ हो? सच्चाई केवल छुपाई नहीं जाती, उसका आकलन किया जा रहा है। 31 अक्टूबर को अपने नजदीकी सिनेमाघरों में द ताज स्टोरी के साथ तथ्यों का खुलासा होते देखें।"
पिछले महीने ही फिल्म के निर्माताओं ने इसका टीजर जारी किया था। इसमें परेश रावल बौद्धिक आतंकवाद पर अदालत में बहस करते नजर आए थे।
‘द ताज स्टोरी’ में जाकिर हुसैन, अमृता खानविलकर, स्नेहा वाघ और नामित दास जैसे कलाकार भी हैं। इस फिल्म को तुषार अमरीश गोयल ने लिखा और निर्देशित किया है। यह फिल्म 31 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।