क्या परेश रावल की फिल्म 'द ताज स्टोरी' में ताजमहल की कहानी को नए सिरे से लिखा जाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- परेश रावल की नई फिल्म 'द ताज स्टोरी' ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- फिल्म में ताजमहल की कहानी को नए सिरे से प्रस्तुत किया गया है।
- सामाजिक सवालों पर विचार करने के लिए यह एक मंच प्रदान करती है।
- फिल्म में प्रतिभाशाली कलाकारों का प्रदर्शन है।
- म्यूजिक ने कहानी की भावनाओं को और गहरा किया है।
मुंबई, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध अभिनेता परेश रावल की नई फिल्म 'द ताज स्टोरी' जल्द ही सिनेमाघरों में देखने को मिलेगी। ट्रेलर के बाद, सोमवार को फिल्म का एक डायलॉग प्रोमो भी जारी किया गया।
यह प्रोमो ताजमहल की कहानी को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है।
प्रोमो में परेश रावल और जाकिर हुसैन के बीच एक तीखी बहस दिखाई जाती है, जिसमें परेश रावल का किरदार ताजमहल के पीछे छिपी सच्चाई पर सवाल उठाता है। मेकर्स ने प्रोमो के साथ कैप्शन में लिखा, "प्रेम का प्रतीक या नरसंहार का प्रतीक? अब समय आ गया है कि हम ताजमहल की झूठी कहानी को चुनौती दें।"
इसके साथ में टैगलाइन है, "फिल्म आजादी के 79 साल बाद भी यह सवाल उठाती है कि 'क्या हम अब भी बौद्धिक आतंकवाद के गुलाम हैं?'
'द ताज स्टोरी' केवल एक ऐतिहासिक या पीरियड ड्रामा नहीं है, बल्कि यह एक सिनेमाई बहस है जो इतिहास को पुनः समीक्षा करने और सामाजिक टिप्पणी करने का प्रयास करती है। परेश रावल, जाकिर हुसैन, अमृता खानविलकर, स्नेहा वाघ, और नामित दास जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों से भरपूर यह फिल्म दर्शकों को भावनात्मक और बौद्धिक स्तर पर प्रभावित करने का वादा करती है।
फिल्म का संगीत रोहित शर्मा और राहुल देव नाथ द्वारा संगीतबद्ध किया गया है, जो कहानी की तीव्रता और भावनाओं को और गहरा बनाता है।
यह फिल्म दर्शकों को इतिहास, आजादी और सच्चाई के नए अर्थ समझने के लिए प्रेरित करेगी। यह न केवल मनोरंजन प्रदान करेगी, बल्कि गंभीर सवालों को भी सामने लाएगी। फिल्म 31 अक्टूबर को देशभर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी।
फिल्म की कहानी ताजमहल से जुड़े इतिहास के चारों ओर घूमती है, जिसमें ताजमहल से जुड़ी धारणाओं पर सवाल उठाए गए हैं। फिल्म में अभिनेता परेश रावल विष्णु दास के किरदार में नजर आएंगे, जो ताजमहल के पीछे की सच्चाई को उजागर करने का संकल्प लेते हैं।