पवन कल्याण को उनका नाम कैसे मिला?

सारांश
Key Takeaways
- पवन कल्याण का असली नाम कोनिडेला कल्याण बाबू है।
- उन्होंने 1996 में अपने करियर की शुरुआत की।
- पवन कल्याण ‘जनसेना पार्टी’ के संस्थापक हैं।
- उन्हें पवन नाम मार्शल आर्ट्स इवेंट में मिला।
- वे कराटे में ब्लैक बेल्ट धारक हैं।
मुंबई, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण, जिन्हें उनके प्रशंसक प्यार से ‘मेगा स्टार’ कहते हैं, साउथ सिनेमा के प्रमुख सितारों में से एक हैं। वह केवल एक सफल अभिनेता नहीं, बल्कि निर्देशक, निर्माता और राजनेता भी हैं। उनका असली नाम कोनिडेला कल्याण बाबू है, लेकिन फिल्मी करियर की शुरुआत के साथ ही उन्होंने ‘पवन कल्याण’ नाम अपनाया।
उन्होंने 1996 में फिल्म ‘अक्कड़ा अम्माई इक्कड़ा अब्बाई’ से अपने करियर की शुरुआत की। धीरे-धीरे अपनी शानदार अभिनय, आकर्षक व्यक्तित्व और जबरदस्त फैन फॉलोइंग के कारण उन्होंने इंडस्ट्री में एक खास पहचान बनाई। पवन कल्याण की फिल्मों में एक्शन, भावनाओं और सामाजिक संदेशों का अनोखा मेल देखने को मिलता है। सिनेमा के साथ-साथ वे राजनीति में भी सक्रिय हैं और ‘जनसेना पार्टी’ के संस्थापक हैं। उनकी सादगी और जमीनी व्यक्तित्व के कारण वे करोड़ों लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।
पवन कल्याण को उनका नाम कैसे मिला, इसका एक दिलचस्प किस्सा है। यह एक विशेष उपलब्धि से जुड़ा हुआ है।
बात उन दिनों की है जब पवन कल्याण अभिनेता नहीं थे और मार्शल आर्ट्स इवेंट में प्रशिक्षण ले रहे थे। इस इवेंट में, उन्होंने एक प्रभावशाली तकनीक का प्रदर्शन किया और अपनी शक्ति से कांच का एक स्लैब तोड़ दिया। उनके प्रदर्शन ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी शक्ति और नियंत्रण को देखकर ही उन्हें 'पवन' (हवा) नाम मिला। उन्होंने इसे अपने फिल्मी नाम के रूप में अपनाया। यह जानकारी उन्होंने एक इंटरव्यू में साझा की थी।
वे कराटे में ब्लैक बेल्ट धारक हैं, जिसका अंदाजा उनकी फिल्मों के एक्शन दृश्यों से लगाया जा सकता है।
शुरुआती संघर्षों के बावजूद, वे हमेशा अपने काम के प्रति गंभीर और अनुशासित रहे हैं। उनकी फिल्में, जिनमें वे खुद स्टंट कोऑर्डिनेटर का काम करते थे, इसी समर्पण का परिणाम हैं। पवन कल्याण नए लोगों को मौका देने के लिए भी जाने जाते हैं।
इससे जुड़ा एक किस्सा उनकी फिल्म ‘गब्बर सिंह’ से है। साल 2011 में उनका करियर कुछ खास नहीं चल रहा था, तभी निर्देशक हरीश शंकर उनके पास हिंदी फिल्म ‘दबंग’ (2010) के तेलुगु रीमेक का प्रस्ताव लेकर आए।
पवन कल्याण ने कहानी सुनी और समझा कि यह उनके लिए एक सही फिल्म है। लेकिन ‘दबंग’ में सलमान खान के किरदार को तेलुगु दर्शकों के अनुसार ढालना एक चुनौती थी। हरीश शंकर ने इस फिल्म को डायरेक्ट करने का अवसर पाने के लिए बहुत मेहनत की थी। उन्होंने पवन कल्याण से अनुरोध किया कि वे इस फिल्म को अलग अंदाज में बनाएंगे, जिसमें पवन के विशिष्ट संवाद और एक्शन स्टाइल का भरपूर उपयोग होगा।
फिल्म निर्माण के दौरान, हरीश शंकर ने पवन कल्याण से कहा कि वे फिल्म के एक गाने को अपनी आवाज दें। पवन ने शुरुआत में हिचकिचाहट महसूस की, क्योंकि वे एक पेशेवर गायक नहीं हैं, लेकिन हरीश शंकर के इसरार पर मान गए। उन्होंने निर्देशक पर भरोसा जताते हुए एक गाने के लिए अपनी आवाज दी, जो था “नेंदु चेप्पानु।” यह फिल्म का सबसे अनोखा हिस्सा बन गया, जिसमें पवन कल्याण ने अपनी शैली में संवाद बोलते हुए गाना गाया था। यह एक रैप स्टाइल का गाना था, जिसमें उन्होंने हास्य और व्यंग्य के साथ कुछ महत्वपूर्ण बातें कही थीं।
इसका परिणाम अद्भुत था। ‘गब्बर सिंह’ एक ब्लॉकबस्टर हिट साबित हुई, जिसने न केवल पवन कल्याण के करियर को पुनर्जीवित किया, बल्कि निर्देशक हरीश शंकर को भी एक बड़ा नाम बना दिया। यह फिल्म पवन कल्याण की धमाकेदार वापसी का कारण बनी।