क्या पर्सिस खंबाटा ने मिस इंडिया से स्टार ट्रेक की 'इलिया' तक, हमेशा देश का मान बढ़ाया?

सारांश
Key Takeaways
- पर्सिस खंबाटा का जीवन हमें साहस और मेहनत का महत्व सिखाता है।
- उन्होंने मिस इंडिया बनने के बाद हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई।
- पारंपरिक सोच से परे जाकर उन्होंने अपनी अलग छाप छोड़ी।
- उनका अनुभव यह दर्शाता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं।
- पर्सिस खंबाटा ने भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया।
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हिम्मत-ए-मर्दा, मदद-ए-खुदा पर्सिस खंबाटा की विशेषता इस फारसी कहावत को पूर्णता में दर्शाती है। पर्सिस की कहानी जुनून, जज्बे और हिम्मत की कहानी है। कौन सोच सकता है कि एक युवा मॉडल-एक्टर अपने लंबे और खूबसूरत बालों को शेव कर बिल्कुल गंजा हो जाएगा! पर यही तो खंबाटा की विशेषता थी। उनके हुनर पर विश्वास इतना दृढ़ था कि उन्होंने इतिहास रचा।
खंबाटा ने पारंपरिक सीमाओं को तोड़ा और साबित किया कि बाल मुंडवा कर पर्दे पर आने वाली एक एक्टर भी ग्लैमरस और आकर्षक हो सकती है। फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीतकर उन्होंने भारत का नाम रोशन किया और अपनी हिम्मत के बल पर हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई। जब बात भारत के ग्लैमर और अंतरराष्ट्रीय पहचान की होती है, तो पर्सिस का नाम हमेशा चमकता है। इंदिरा गांधी ने उन्हें प्राइड ऑफ इंडिया कहा। 2 अक्टूबर 1948 को मुंबई में जन्मी पर्सिस न केवल सौंदर्य की मिसाल थीं, बल्कि उनके पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों ने उन्हें हर चुनौती का सामना करने वाला साहसी कलाकार बनाया। वो ऑस्कर पुरस्कार प्रदान करने वाली पहली भारतीय भी थीं।
पर्सिस का परिवार पारंपरिक, लेकिन प्रगतिशील सोच वाला था। 1997 में, पर्सिस ने 'प्राइड ऑफ इंडिया' नामक एक एंथोलॉजी प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने लिखा, "सुंदरता और सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और आत्म-सम्मान होना चाहिए। यही शिक्षा मुझे आज भी प्रेरित करती है।"
ये पारसी बच्ची कुछ अलग ही थी। 13 साल की उम्र में एक फोटोग्राफर ने रेस्टोरेंट में खाना खाते हुए उनकी तस्वीर ली और वो रेक्सोना साबुन की मॉडल बन गईं। 1965 में, उन्होंने फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता जीती और 1968 में निर्देशक के.ए. अब्बास ने उन्हें एक बॉलीवुड फिल्म में कास्ट किया। गोल्डन ग्लोब्स में छपे एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "मैं बहुत भाग्यशाली थी। मैंने भारत में बहुत मॉडलिंग की थी, लेकिन मैं छोटे तालाब में बड़ी मछली की तरह थी और मैं कहीं और पहचान बनाना चाहती थी।"
इंग्लैंड में, खंबाटा ने 'द विल्बी कॉन्सपिरेसी' (1975) और माइकल यॉर्क और रिचर्ड एटनबरो के साथ 'कंडक्ट अनबीकॉमिंग' (1975) में छोटी भूमिकाएं निभाईं। फिर अमेरिका पहुंची। वहां स्टार ट्रेक के लिए ऑडिशन देने गईं। उन्होंने ऑडिशन के समय ऐसी टोपी पहनी जो एकदम गंजा दिखाती थी। जानती थीं कि जिस किरदार के लिए वे ऑडिशन दे रही हैं, वो गंजा है। सैकड़ों ने टेस्ट दिया, लेकिन खंबाटा पास हुईं। उन्हें डेल्टान की इलिया का किरदार मिला। 29 साल की उम्र में पर्सिस साइंस फिक्शन फिल्म 'स्टार ट्रैक: द मोशन पिक्चर' में लेफ्टिनेंट इलिया के रोल में नजर आईं।
उन्होंने क्राइम थ्रिलर 'नाइटहॉक्स' में भी एक नकारात्मक किरदार निभाया। 1983 में उनकी दिल की बाईपास सर्जरी हुई। 1998 में, मात्र 49 वर्ष की आयु में उन्हें हार्ट अटैक आया, जो जानलेवा साबित हुआ।