क्या दिल्ली में आरएसएस को पाठ्यक्रम में शामिल करना निंदनीय है? : अमन अरोड़ा

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय विवादित है।
- अमन अरोड़ा ने इसे निंदनीय बताया है।
- भारत की ऐतिहासिक विविधता को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
- पंजाब सरकार किसानों को पराली जलाने के लिए सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध कराती है।
- सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मुद्दे पर सख्त निर्देश दिए हैं।
चंडीगढ़, १ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आरएसएस को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के निर्णय का पंजाब आम आदमी पार्टी (आप) ने कड़ा विरोध किया है।
पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने दिल्ली सरकार के इस कदम को निंदनीय करार दिया है। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जहाँ हर धर्म और वर्ग के लोगों ने अपनी कुर्बानी दी है। भारत एक गुलदस्ता है, जिसमें हर रंग का फूल पूरे देश को खुशबू देता है।
उन्होंने यह भी कहा कि एक विशेष मानसिकता को पढ़ाना उचित नहीं है। छात्रों को देश के इतिहास की शिक्षा दी जानी चाहिए और भारत को विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनाने पर विचार होना चाहिए।
पंजाब में बाढ़ के मुद्दे पर अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, जिसमें उन्होंने १३,८०० करोड़ के विशेष पैकेज की मांग की थी।
पंजाब में पराली जलाने के मामलों पर किसान संगठनों के विरोध के संदर्भ में अमन अरोड़ा ने कहा कि पराली जलाने से धरती और हवा दोनों का नुकसान होता है। इस पर रोक लगाने के लिए पंजाब सरकार ने पिछले तीन वर्षों में किसानों को सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध कराई हैं।
पंजाब सरकार ने किसानों को पराली के निपटारे के लिए सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रोटावेटर जैसी मशीनें सब्सिडी पर उपलब्ध कराई हैं। इसके साथ ही, जागरूकता अभियानों के माध्यम से किसानों को समझाया जा रहा है कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि उनकी खुद की ज़मीन की उर्वरता भी घटती है।
पराली जलाने से उठने वाला धुआं न केवल स्थानीय स्तर पर हवा को प्रदूषित करता है, बल्कि यह दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी कारण, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार ने पहले कई बार सख्त निर्देश दिए हैं।