क्या राहुल खन्ना का एक गलत फैसला फिल्म इंडस्ट्री में उनके सपनों को खत्म कर गया?

सारांश
Key Takeaways
- फिल्म उद्योग में सही निर्णय लेना आवश्यक है।
- एक गलत चुनाव करियर को स्थिर कर सकता है।
- पैरेलल सिनेमा की कम संख्या समस्या है।
- परिवार का नाम होना हमेशा सफलता की गारंटी नहीं है।
- अभिनय में प्रशिक्षण और अनुभव महत्वपूर्ण हैं।
मुंबई, 19 मई (राष्ट्र प्रेस)। जिंदगी में कभी-कभी एक ऐसा फैसला होता है जो सब कुछ बदल देता है, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक। फिल्म इंडस्ट्री में यह और भी महत्वपूर्ण है, जहां एक सही मौका किसी को सितारा बना सकता है, वहीं एक गलत निर्णय करियर को ठप कर सकता है। राहुल खन्ना की कहानी भी कुछ इसी तरह की है।
स्टाइलिश, प्रतिभाशाली और काम के प्रति जुनूनी होने के बावजूद वह सिनेमा में कुछ विशेष नहीं कर पाए। उनके एक गलत चुनाव ने उन्हें गुमनामी में धकेल दिया। 20 जून 1972 को मुंबई में जन्मे राहुल खन्ना, बॉलीवुड के प्रतिष्ठित अभिनेता विनोद खन्ना के बड़े बेटे हैं। सुपरस्टार के बेटे होने के कारण उन्हें एक्टिंग का माहौल बचपन से ही मिला, लेकिन वह अपने पिता की तरह एक बड़ी पहचान नहीं बना पाए।
राहुल खन्ना ने अमेरिका में एक्टिंग की पढ़ाई की और वहां अभिनय की बारीकियां सीखीं। इस दौरान उन्होंने एमटीवी एशिया के साथ वीजे के रूप में काम करना शुरू किया और चार सालों तक इस क्षेत्र में सक्रिय रहे। तभी उनकी जिंदगी में एक मोड़ आया और उन्हें फिल्म 'अर्थ' का प्रस्ताव मिला, जिसे दीपा मेहता ने निर्देशित किया। फिल्म का विषय और किरदार राहुल को इतना भाया कि उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया। परंतु, यही उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई। फिल्म में आमिर खान की उपस्थिति ने सारा ध्यान खींच लिया और राहुल केवल साइड हीरो बनकर रह गए। शुरुआत में ऐसी फिल्म का चुनाव करना, जो प्रशंसा तो प्राप्त करती है लेकिन कम लोग देखते हैं, उनके करियर के लिए नुकसानदायक साबित हुआ।
वह अमेरिका से पैरेलल सिनेमा का अनुभव लेकर लौटे थे, लेकिन बॉलीवुड में इस तरह की फिल्मों की संख्या बहुत कम है। पैरेलल सिनेमा सामाजिक मुद्दों पर आधारित और कलात्मक होती है। यह व्यावसायिक फिल्मों से काफी भिन्न है। इसमें समाज के असली सवाल, जैसे गरीबी, असमानता, राजनीति, न्याय और आम आदमी की जिंदगी को दर्शाया जाता है।
राहुल खन्ना के साइड हीरो की छवि बन जाने के बाद से उन्हें ज्यादा लीड रोल नहीं मिले। इसी कारण उनका करियर कभी ऊँचाई पर नहीं पहुँच सका। उन्होंने अयान मुखर्जी की फिल्म 'वेकअप सिड' और सैफ अली खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म 'लव आज कल' में भी साइड रोल में ही काम किया।
राहुल को अंतिम बार 2013 में आई 'फारफ्लाइस' में देखा गया था। उन्होंने टीवी में भी सक्रियता दिखाई है। वह टीवी शो 'द अमेरिकन्स' में भी नजर आए थे। 1999 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले राहुल खन्ना ने अब तक केवल 11 फिल्मों में काम किया है।