क्या चीन श्रीलंका का एक विश्वसनीय साझेदार है? : श्रीलंका चीन मैत्री संघ के महासचिव

सारांश
Key Takeaways
- चीन और श्रीलंका के बीच सहयोग बढ़ रहा है।
- दक्षिण एशिया एक्सपो एक महत्वपूर्ण मंच है।
- मुक्त व्यापार श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।
- सांस्कृतिक कूटनीति से संबंध मजबूत होंगे।
- चीन का व्यापारिक दृष्टिकोण विश्व अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाएगा।
बीजिंग, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। 9वां चीन-दक्षिण एशिया एक्सपो 19 से 24 जून तक चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग में आयोजित किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण आयोजन से पहले, सिन्हुआ न्यूज एजेंसी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में, श्रीलंका चीन मैत्री संघ के महासचिव प्रसाद विजेसुरिया ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे समय में, चीन का उच्च-स्तरीय खुलेपन को बढ़ावा देने और उच्च-गुणवत्ता वाली वस्तुओं और सेवाओं के आयात का विस्तार करने का दृढ़ संकल्प श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में सामने आता है, खासकर आर्थिक चुनौतियों से निपटने में।
विजेसुरिया ने कहा कि श्रीलंका जैसी छोटी, निर्यात-निर्भर अर्थव्यवस्थाओं के लिए मुक्त और खुला व्यापार अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने वैश्विक व्यापार संरक्षणवाद के बढ़ते परिदृश्य में चीन की प्रतिबद्धता की सराहना की, जो उच्च स्तरीय खुलेपन को बढ़ावा देने, अंतर्राष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय तथा बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को दृढ़तापूर्वक कायम रखने पर केंद्रित है। उनका मानना है कि चीन का यह दृष्टिकोण विश्व अर्थव्यवस्था में अधिक स्थिरता और निश्चितता लाएगा।
उनका दृढ़ विश्वास है कि दक्षिण एशिया एक्सपो दक्षिण एशियाई देशों और चीन के लिए आपसी लाभकारी सहयोग को बढ़ावा देने और आर्थिक व व्यापारिक आदान-प्रदान को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है।
विजेसुरिया ने बताया कि कई श्रीलंकाई निर्यातक, उद्यमी और निवेशक दक्षिण चीन एक्सपो को अपने चीनी समकक्षों के साथ साझेदारी स्थापित करने के लिए एक उच्च-स्तरीय मंच मानते हैं। यह मंच दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने तथा सामान्य विकास को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
उनके अनुसार, श्रीलंका इस एक्सपो में चीनी मित्रों के लिए सीलोन चाय, रत्न, दालचीनी और अन्य मसाले जैसी अपनी प्रमुख वस्तुओं को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही, "सांस्कृतिक कूटनीति" के माध्यम से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक सहयोग को गहरा करने की भी उम्मीद है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)