क्या आप जानते हैं 'गजोधर भैया' के बारे में? : राजू श्रीवास्तव की अनोखी कॉमेडी
सारांश
Key Takeaways
- राजू श्रीवास्तव का असली नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था।
- उन्होंने आम जिंदगी की छोटी-छोटी बातों को कॉमेडी में बदला।
- उनका प्रसिद्ध किरदार 'गजोधर भैया' बन गया।
- राजू ने 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' से पहचान बनाई।
- उनका निधन 21 सितंबर 2022 को हुआ।
मुंबई, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी कॉमेडी के क्षेत्र में राजू श्रीवास्तव का नाम सुनते ही एक मुस्कान चेहरे पर आ जाती है। उन्होंने लोगों को हंसाने के लिए न तो भारी-भरकम शब्दों का प्रयोग किया और न ही किसी प्रकार की फूहड़ता का सहारा लिया। उनकी सबसे प्रमुख ताकत थी सामान्य जीवन की छोटी-छोटी बातें। कभी बस में यात्रा कर रहे लोग, कभी मोहल्ले की आंटी, या फिर शादी में खाना खाते लोग, राजू इन्हीं साधारण चीजों से हंसी का संचार कर देते थे।
उनकी कॉमेडी की एक विशेषता यह थी कि वे निर्जीव वस्तुओं को भी जीवंतता प्रदान कर देते थे। थाली में रखे चावल, दाल और रोटी के बीच संवाद की कल्पना करते हुए वे अपनी आवाज में बोलने लगते थे, और यही अंदाज उन्हें अन्य कलाकारों से अलग करता था।
राजू श्रीवास्तव का जन्म 25 दिसंबर 1963 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ। उनका असली नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था। उनके पिता, रमेश चंद्र श्रीवास्तव, जिन्हें बलई काका के नाम से जाना जाता था, एक कवि थे। घर का वातावरण साहित्य और कला से भरा हुआ था। बचपन से ही राजू को लोगों की नकल करने का शौक था। स्कूल में वे अपने शिक्षकों की नकल करके दोस्तों को हंसाते थे। यह शौक आगे चलकर उनके करियर का आधार बना। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे बड़े सपनों के साथ मुंबई आए, लेकिन यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था।
मुंबई में अपने शुरुआती दिनों में राजू को कई संघर्षों का सामना करना पड़ा। कभी उन्हें छोटे-मोटे भूमिकाएं मिलीं, तो कभी काम ही नहीं मिला। अपनी रोजी-रोटी के लिए उन्होंने रिक्शा भी चलाया। कई बार वे छोटे स्टेज शो में महज 50 रुपए में परफॉर्म करते थे। उन्होंने 'तेजाब', 'मैंने प्यार किया', 'बाजीगर', और 'बॉम्बे टू गोवा' जैसी फिल्मों में छोटे-छोटे रोल किए, लेकिन असली पहचान उन्हें स्टैंड-अप कॉमेडी से मिली। साल 2005 में टीवी शो 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' ने उनकी किस्मत बदल दी। इस मंच पर उन्होंने अपनी अनोखी शैली से देशभर का ध्यान खींचा।
राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी का सबसे अनोखा पहलू यह था कि वे रोजमर्रा की चीजों को इंसानी रूप में प्रस्तुत करते थे। एक प्रसिद्ध एक्ट में उन्होंने शादी में खाने की थाली को कहानी का पात्र बना दिया। चावल, दाल, नान और सब्जी आपस में बातचीत करते हैं - 'कौन पहले खाया जाएगा, कौन प्लेट में बच जाएगा।' यह सुनकर लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते थे, क्योंकि यह चीजें हर किसी ने अपनी जिंदगी में देखी हैं। इसी प्रकार, वे ट्रेन, भीड़, सरकारी दफ्तर और आम आदमी के चलने-फिरने के अंदाज को मंच पर हू-ब-हू प्रस्तुत करते थे। यही कारण है कि उनकी कॉमेडी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को समझ में आती थी।
'गजोधर भैया' का किरदार उनकी पहचान बन गया। यह एक भोले-भाले देसी आदमी का किरदार था, जिसकी सोच थोड़ी अनोखी थी। इस किरदार के माध्यम से राजू ने गांव और छोटे शहरों के लोगों को राष्ट्रीय मंच पर जगह दी। उनकी अमिताभ बच्चन की मिमिक्री भी अत्यंत प्रसिद्ध रही, और खुद अमिताभ बच्चन ने उनकी प्रशंसा की थी। उन्होंने टीवी शो 'बिग बॉस 3' में भी भाग लिया और कई रियलिटी और कॉमेडी शोज में दिखाई दिए।
राजू श्रीवास्तव को उनके योगदान के लिए अनेक सम्मान प्राप्त हुए। वे उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष भी रहे और नोएडा फिल्म सिटी के विकास में योगदान दिया। उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और बाद में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए। 21 सितंबर 2022 को उनका निधन हो गया। उनके जाने से देश ने एक ऐसे कलाकार को खो दिया, जिसने बिना किसी दिखावे के आम जिंदगी को मंच पर लाकर लोगों को हंसाया।