क्या रणदीप हुड्डा ने आवारा कुत्तों के फैसले की समीक्षा के मुख्य न्यायाधीश के निर्णय का स्वागत किया?

सारांश
Key Takeaways
- मानवीय दृष्टिकोण का महत्व
- आवारा कुत्तों की सुरक्षा
- स्थायी उपायों की आवश्यकता
- जानवरों और मनुष्यों की सुरक्षा
- समाज में सहानुभूति और व्यावहारिकता का महत्व
मुंबई, १३ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेता और पशु प्रेमी रणदीप हुड्डा ने आवारा कुत्तों पर अदालत के फैसले की समीक्षा के मुख्य न्यायाधीश के निर्णय का स्वागत किया है। इस फैसले की सराहना करते हुए, रणदीप ने एक विस्तृत पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा की।
रणदीप ने अपने पोस्ट में लिखा, "यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई कि माननीय मुख्य न्यायाधीश एनसीआर में आवारा कुत्तों से संबंधित फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए सहमत हुए हैं। कानून का निर्माण और प्रवर्तन सबसे पहले मानवीय होना चाहिए, और इसमें बुनियादी ढांचे और संवेदनशीलता को ध्यान में रखना आवश्यक है।"
रणदीप ने यह भी कहा कि आवारा कुत्ते वास्तव में "सामूहिक, सामुदायिक, मानवीय जिम्मेदारी और कभी-कभी जनता की सुरक्षा की चिंता" दोनों हैं। उन्होंने ऐसे समाधानों की आवश्यकता पर जोर दिया जो जानवरों और मनुष्यों, दोनों की सुरक्षा करें।
उन्होंने लिखा, "मुझे जानवरों से प्यार है, लेकिन क्या मैं इसे उस परिवार के सामने उचित ठहरा पाऊंगा जिसने रेबीज से किसी प्रियजन को खो दिया है या गंभीर चोटों का सामना किया है?"
इसके उत्तर में उन्होंने लिखा- नहीं।
रणदीप ने आगे कहा कि आवारा कुत्तों की पूरी जनसंख्या को कहीं बंद करके रखना न तो व्यावहारिक है और न ही प्रभावी।
उन्होंने बड़े पैमाने पर नसबंदी, आक्रामक आवारा कुत्तों को पकड़कर अन्य स्थानों पर बसाने और जिम्मेदारी से गोद लेने जैसे स्थायी उपायों की वकालत की। उन्होंने कहा, "यह एक दीर्घकालिक संभावित समाधान है, जिससे आने वाले वर्षों में ऐसे कुत्तों की संख्या कम होगी। साथ ही, जितना संभव हो सके उतने कुत्तों को गोद लें और वास्तव में उनके लिए जिम्मेदार बनें। मुझे पता है और मैंने ऐसा किया है।"
रणदीप की यह पोस्ट ऐसे समय में आई है जब आवारा कुत्तों पर आए अदालत के फैसले को लेकर लोगों में काफी मतभेद हैं। इनमें से अधिकतर पशु प्रेमियों का दृष्टिकोण सहानुभूति और व्यावहारिकता से जुड़ा हुआ है।