क्या रवि दुबे को काशी का आध्यात्मिक सौंदर्य भाया?

सारांश
Key Takeaways
- रवि दुबे ने काशी की यात्रा के दौरान एक अद्वितीय अनुभव साझा किया।
- काशी का आध्यात्मिक महत्व उन्हें बेहद प्रभावित करता है।
- उन्होंने ड्रीमियाता ड्रामा की शूटिंग के साथ-साथ सांस्कृतिक अनुभव को भी साझा किया।
- रवि और सरगुन ने काशी में घर जैसा एहसास किया।
- वे रामायण में लक्ष्मण का किरदार निभाने के लिए तैयार हैं।
मुंबई, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेता रवि दुबे ने हाल ही में वाराणसी का दौरा किया, जो उनके लिए एक अद्वितीय अनुभव साबित हुआ। रवि दुबे जल्द ही भारतीय महाकाव्य 'रामायण' में लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले हैं। उन्होंने अपनी यात्रा का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें यहां घर जैसा एहसास होता है।
वीडियो में पवित्र शहर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गहराई को दर्शाया गया है। इसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार जिमी जिब क्रेन का उपयोग वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर और उसके गोपुरम को ऊंचाई से दिखाने के लिए किया जा रहा है।
हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह किस प्रोजेक्ट की शूटिंग है, लेकिन उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस 'ड्रीमियाता ड्रामा' को टैग किया है।
रवि दुबे ने कहा कि उन्होंने और उनकी पत्नी सरगुन मेहता ने दुनिया के कई हिस्सों की यात्रा की है, लेकिन कोई भी स्थान उनकी आत्मा को उस तरह नहीं छू सका, जैसा कि काशी ने किया। काशी की हवा में कुछ ऐसा है, जो प्राचीन और अनंत है।
उन्होंने अपने कैप्शन में लिखा, ''ड्रीमियाता ड्रामा की शूटिंग के लिए हम वाराणसी आए, लेकिन इस जगह ने हमें काम से भी ज्यादा कुछ दिया। सरगुन और मैं दुनिया के कई हिस्सों में गए हैं, लेकिन कोई भी शहर हमारी आत्मा को वैसे नहीं छू पाया, जैसा वाराणसी ने किया। यहां हमें घर जैसा महसूस होता है। इसकी हवा में कुछ खास है, कुछ प्राचीन है, कुछ हमेशा रहने वाला है, एक ऐसा एहसास है, जिसे शब्दों में बताना मुश्किल है, एक ऐसी खामोशी है, जो बातें करती है, एक ऐसी मौजूदगी है, जो आपको विनम्र बना देती है। आध्यात्मिक रूप से, भावनात्मक रूप से और फिल्मी नजरिए से, काशी एक अद्भुत अनुभव है। हम पर इस सफर का गहरा असर हुआ, हमने अपने अंदर एक अलग बदलाव महसूस किया और कई चीजों से प्रेरित भी हुए। इसकी पहचान, इसकी भावना, इसका पुराना रिदम सब कुछ खास है।''
उन्होंने लिखा, ''यह सब ऐसा लगता है, जैसे कहानियां हों, जिन्हें फिल्म के रूप में बताने का इंतजार हो। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि कभी ऐसा मौका मिले कि ड्रीमियाता के माध्यम से हम कुछ ऐसा बनाएं, जो सिर्फ वाराणसी को दिखाए ही नहीं, बल्कि जो देखने वालों को वाराणसी जैसा महसूस भी कराए। ऐसा कुछ जो पूरी दुनिया देखे और उसकी मदद से भगवान की भावना महसूस करे।''