क्या सहर बंबा कभी नहीं भूल सकती? 25 सालों के पांच यादगार पल
सारांश
Key Takeaways
- शाहरुख खान के साथ मंच साझा करना एक सपना था।
- आर्यन खान की कॉल ने उनकी जिंदगी बदल दी।
- लीड एक्ट्रेस के रूप में कदम रखना आत्मविश्वास बढ़ाता है।
- परिवार का समर्थन सबसे बड़ी प्रेरणा है।
- एक कलाकार के रूप में पहचान बनाना आंतरिक बदलाव लाता है।
मुंबई, 25 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सिनेमा की दुनिया में जब भी किसी कलाकार का नाम लिया जाता है, दर्शक उन्हें उनके अनुभवों और सफर के माध्यम से याद करते हैं। इसी संदर्भ में फिल्म 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' की अभिनेत्री सहर बंबा ने राष्ट्र प्रेस के साथ एक विशेष बातचीत में बताया कि 2000 से 2025 के बीच उनके जीवन के पांच सबसे यादगार पल कौन से रहे।
सहर ने बताया कि उनके सबसे यादगार पलों की शुरुआत उस दिन से होती है जब उन्होंने फिल्म 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' के ट्रेलर लॉन्च पर शाहरुख खान के साथ मंच साझा किया और उनके साथ डांस किया। सहर ने कहा, "यह केवल एक फैन मोमेंट नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा अवसर था जिसने मुझे याद दिलाया कि मुझे सिनेमा से प्यार क्यों हुआ था। यह पल मेरे लिए एक सपना सच होने जैसा था, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकती।"
दूसरे सबसे यादगार पल के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, "मेरे लिए दूसरा सबसे यादगार पल वह था जब मुझे आर्यन खान ने खुद फोन करके बताया कि मैं शो का हिस्सा बन गई हूं। इस फोन ने मेरी जिंदगी बदल दी। उस समय मुझे एहसास हुआ कि मैं किसी बड़े प्रोजेक्ट के लिए चुनी गई हूं। यह कॉल उनके मुझ पर भरोसा करने का प्रतीक था।"
सहर ने बताया, "तीसरा यादगार पल वह था जब मैंने पहली बार लीड एक्ट्रेस के रूप में सेट पर कदम रखा। उस समय मुझे कोई बाहरीपन महसूस नहीं हुआ, ऐसा लगा जैसे मेरा सेट से कोई खास जुड़ाव है। मैं कहानी को पूरी तरह से निभाने और पेशेवर रूप से काम करने के लिए तत्पर थी। यह एहसास मेरे आत्मविश्वास और पेशेवर दृष्टिकोण के लिए बहुत महत्वपूर्ण था।"
चौथे खास पल की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "चौथा पल मेरे परिवार से जुड़ा हुआ है। जब मैंने देखा कि मेरे परिवार के सदस्य मेरी मेहनत और सफर पर गर्व महसूस कर रहे हैं, तो मैं भावुक हो गई। मेरा परिवार हमेशा से मेरा सबसे बड़ा सहारा और प्रेरणा रहा है।"
पांचवां और अंतिम महत्वपूर्ण पल था एक कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनाना। उन्होंने कहा, "मैंने एक कलाकार के रूप में अपनी पहचान को मजबूत किया है। कब 'ना' कहना है, धैर्य रखना है, और समय पर भरोसा करना है, यह मैंने सीख लिया है। यह आंतरिक बदलाव मेरे लिए किसी बाहरी सफलता जितना ही महत्वपूर्ण है।"