क्या 'वंदे मातरम' केवल एक गीत है या भारतीय राष्ट्रीय चेतना की नींव?

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क्या 'वंदे मातरम' केवल एक गीत है या भारतीय राष्ट्रीय चेतना की नींव?

सारांश

भाजपा सांसद कंगना रनौत ने संसद में 'वंदे मातरम' पर चर्चा में भाग लेते हुए इसे केवल गीत नहीं, बल्कि भारतीय राष्ट्रीय चेतना की नींव बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की और कांग्रेस पर भी तीखा हमला किया। जानिए इस चर्चा की अहमियत क्या है।

Key Takeaways

  • 'वंदे मातरम' ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • कंगना रनौत ने इस गीत को राष्ट्रवादी चेतना का प्रतीक बताया।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कला और संस्कृति को बढ़ावा दिया है।
  • कांग्रेस की सोच हमेशा से महिला विरोधी रही है।
  • यह गीत स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक बन गया।

नई दिल्ली, ८ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद और प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने संसद में 'वंदे मातरम' पर चल रही चर्चा के दौरान अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गीत के इतिहास और उसकी महत्ता को संक्षेप में प्रस्तुत किया, यह बताते हुए कि कैसे यह गीत आजादी की लड़ाई के दौरान विरोध की बुझती हुई लौ को पुनः जागृत करता है और एक ऐसी चिंगारी उत्पन्न करता है जिसने समस्त ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी।

कंगना ने कहा, ''एक कलाकार के रूप में मुझे गर्व है कि इस तरह के एक गीत पर संसद में दस घंटे तक चर्चा की जा रही है। यह गीत आज राष्ट्रवादी चेतना का आधार है और इसकी यात्रा सदियों तक फैली हुई है।''

कंगना ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने सदैव कला और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा दिया है।

अपने बयान में, कंगना ने कांग्रेस पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि २०१४ में जब भारत ने अमृत काल की शुरुआत की, उस समय अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी। कांग्रेस ने महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुँचाया और देश के विकास को बाधित किया।''

उन्होंने कहा, ''मेरा व्यक्तिगत अनुभव है, कांग्रेस ने मेरे काम और मेरे पहनावे पर भी सवाल उठाए। जहां भाजपा की सरकार होती है, वहां की महिलाओं पर भी उंगली उठाई गई। कांग्रेस की सोच हमेशा से महिला विरोधी रही है।''

कंगना ने कहा कि 'वंदे मातरम' में माँ दुर्गा का उल्लेख है, लेकिन कांग्रेस ने इस पर भी आपत्ति उठाई। यह स्पष्ट है कि महिला विरोधी सोच कांग्रेस के डीएनए में है। इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी ने देश की महिलाओं के गौरव और अस्तित्व को ऊपर उठाया है।

'वंदे मातरम' की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने १८७० के दशक में की और यह उनके उपन्यास 'आनंदमठ' में प्रकाशित हुआ। इसके पहले दो छंद संस्कृत में देवी दुर्गा की शक्ति और मातृभूमि की महिमा का वर्णन करते हैं, जबकि शेष पंक्तियाँ मातृभूमि की सुंदरता और भावनाओं को व्यक्त करती हैं। इसे रवींद्रनाथ टैगोर ने संगीतबद्ध किया और १८९६ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया। इसके बाद यह गीत स्वतंत्रता संग्राम और स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक बन गया।

Point of View

बल्कि यह दर्शाता है कि कला और संस्कृति का राजनीति में क्या स्थान है। 'वंदे मातरम' जैसे गीतों की चर्चा से हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को समझने और उसके प्रति गर्व महसूस करने की आवश्यकता है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

कंगना रनौत ने 'वंदे मातरम' पर क्या कहा?
कंगना ने कहा कि 'वंदे मातरम' केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारतीय राष्ट्रीय चेतना की नींव है।
'वंदे मातरम' का इतिहास क्या है?
'वंदे मातरम' की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में की थी और यह आनंदमठ उपन्यास में प्रकाशित हुआ।
क्यों कंगना ने कांग्रेस पर हमला किया?
कंगना ने कहा कि कांग्रेस ने महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुँचाया और देश के विकास में बाधा डाली।
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