क्या जयपुर के छोटे कमरे से शारिब साबरी ने बॉलीवुड तक का सफर तय किया?

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क्या जयपुर के छोटे कमरे से शारिब साबरी ने बॉलीवुड तक का सफर तय किया?

सारांश

शारिब साबरी की यात्रा, जो जयपुर के एक छोटे कमरे से शुरू होकर बॉलीवुड तक पहुँची, प्रेरणादायक है। उनका संघर्ष, परिवार का समर्थन और संगीत के प्रति अटूट लगन ने उन्हें सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। जानें इस अद्भुत कहानी के बारे में!

Key Takeaways

  • शारिब साबरी ने जयपुर के छोटे कमरे से संगीत यात्रा शुरू की।
  • पारिवारिक समर्थन ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।
  • उन्होंने सा रे गा मा पा प्रतियोगिता में भाग लिया।
  • उनका पहला ब्रेक फिल्म राज- द मिस्ट्री कंटीन्यूज से मिला।
  • विविधता और प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं।

मुंबई, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में संगीत की दुनिया में कई ऐसे कलाकार हैं जिनकी जिंदगी की दास्तान उनके गीतों की तरह दिल को छू जाती है। शारिब साबरी भी इनमें से एक हैं। दिल्ली में जन्मे शारिब एक प्रतिभाशाली गायक हैं। उन्होंने बचपन से ही संगीत के प्रति रुचि दिखाई और जयपुर के एक छोटे से कमरे में अपनी गायकी की शुरुआत की। यह कमरा कोई बड़ा स्टूडियो नहीं था, बल्कि एक साधारण किराए का कमरा था।

यही कमरा उनके संगीत के सपनों का पहला कदम बन गया। आज शारिब साबरी बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक और संगीतकारों में से एक माने जाते हैं, लेकिन उनकी यात्रा किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।

शारिब का जन्म 29 दिसंबर 1988 को दिल्ली में हुआ था। उनका परिवार संगीत के साथ गहराई से जुड़ा हुआ था। उनके पिता एक शास्त्रीय संगीतकार थे और बड़े भाई ताशी साबरी भी एक जाने-माने गायक हैं। शारिब का बचपन संगीत की मधुर धुनों के बीच बीता। उन्होंने छोटी उम्र में ही गाना शुरू किया और अपने परिवार के समर्थन से अपने हुनर को निखारा। बाद में उनका परिवार जयपुर के मोती नगर में बस गया। यहां उन्होंने एक किराए के कमरे में रहकर संगीत का अभ्यास शुरू किया। वह घंटों तक बैठकर गाने की ट्रेनिंग लेते और अपने स्वर को निखारते।

उनकी संगीत के प्रति लगन इतनी गहरी थी कि उन्होंने ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। उन्होंने ठान लिया कि अब उनका पूरा जीवन संगीत को समर्पित होगा। इस दौरान उन्होंने बड़े उत्साह और मेहनत से गायिकी का अभ्यास किया और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाने लगे। उनकी मेहनत रंग लाई और वह 'सा रे गा मा पा चैलेंज' 2005 के फाइनलिस्ट बने। इस प्रतियोगिता में उन्हें जनता के वोटों से दसवां स्थान मिला, जो उनके लिए एक बड़ा प्रोत्साहन था। इसके बाद वह 'सा रे गा मा पा– एक मैं और एक तू' में भी रनर-अप बने, जिससे उनके करियर को और मजबूती मिली।

शारिब साबरी ने अपने भाई ताशी के साथ मिलकर कई फिल्मों में संगीत दिया और गाने गाए। उन्हें पहला ब्रेक फिल्म 'राज- द मिस्ट्री कंटीन्यूज' से मिला, जहां उन्होंने 'माही' (रॉक विद मी) के रॉक वर्जन में अपनी आवाज का जादू बिखेरा। इस गाने की रिकॉर्डिंग भी जयपुर के उस छोटे कमरे में हुई, जहां से उनकी मेहनत की शुरुआत हुई। उनके भाई के साथ सहयोग ने उन्हें अलग पहचान दिलाई और दोनों भाईयों की जोड़ी ने संगीत क्षेत्र में नया मुकाम हासिल किया।

इसके अलावा, शारिब ने फिल्म 'समर ऑफ 2007' में भी गाना गाया और कई टीवी शो जैसे 'जुनून- कुछ कर दिखाएंगे' और 'म्यूजिक का महामुकाबला' में अपनी प्रतिभा दिखाई।

अपने करियर में शारिब साबरी ने कई हिट गाने दिए हैं। उनकी आवाज में रॉक से लेकर रोमांटिक गीत और पारंपरिक ठुमरी तक की विविधता है। उन्होंने 'जेल', 'वीर', 'प्यार का पंचनामा 2', '1920: लंदन', और 'हाउसफुल 3' जैसी फिल्मों में गाने गाए हैं। उनके सिंगल्स 'सांसों की माला' और 'दिला ठहर जा' भी काफी लोकप्रिय हो चुके हैं।

Point of View

शारिब साबरी की कहानी न केवल एक संगीतकार के रूप में उनकी मेहनत और संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे परिवारिक समर्थन और व्यक्तिगत लगन किसी भी व्यक्ति को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है। उनकी यात्रा सभी युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

शारिब साबरी का जन्म कब हुआ?
शारिब साबरी का जन्म 29 दिसंबर 1988 को दिल्ली में हुआ।
शारिब ने अपनी गायकी की शुरुआत कहाँ से की?
शारिब ने अपनी गायकी की शुरुआत जयपुर के एक छोटे से कमरे से की।
शारिब साबरी ने किस प्रतियोगिता में फाइनलिस्ट बने?
शारिब साबरी 'सा रे गा मा पा चैलेंज' 2005 के फाइनलिस्ट बने।
शारिब की पहचान किस गाने से बनी?
उनकी पहचान फिल्म 'राज- द मिस्ट्री कंटीन्यूज' में 'माही' गाने से बनी।
शारिब साबरी के सबसे प्रसिद्ध गाने कौन से हैं?
उनके प्रसिद्ध गानों में 'सांसों की माला' और 'दिला ठहर जा' शामिल हैं।
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