क्या 'उल्टे चश्मे' से दुनिया देखने वाले तारक मेहता की रचनाएं आज भी हमें गुदगुदाती हैं?
सारांश
Key Takeaways
- तारक मेहता की रचनाएं हंसी और गहरे विचारों का समावेश करती हैं।
- उनका कॉलम 'दुनिया ने उंधा चश्मा' समाज की कमियों को हास्य में प्रस्तुत करता है।
- तारक मेहता ने गुजराती साहित्य को समृद्ध किया।
- वे एक प्रमुख थिएटर व्यक्तित्व भी थे।
- उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं।
मुंबई, २५ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजराती साहित्य के प्रसिद्ध हास्यकार, कॉलमनिस्ट और नाटककार, एक ऐसे साहित्यकार जिनकी दृष्टि दुनिया को सीधे नहीं, बल्कि उल्टे चश्मे से देखने की थी। हां, हम बात कर रहे हैं तारक जनुभाई मेहता की, जिनकी रचनाएं आज भी पाठकों और दर्शकों को हंसाने पर मजबूर करती हैं।
गुजरात के इस हास्य सम्राट की जयंती २६ दिसंबर को है।
तारक मेहता का जन्म २६ दिसंबर १९२९ को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ। वे मुख्य रूप से अपने प्रसिद्ध साप्ताहिक कॉलम 'दुनिया ने उंधा चश्मा' के लिए जाने जाते हैं, जो मार्च १९७१ में गुजराती साप्ताहिक पत्रिका 'चित्रलेखा' में पहली बार प्रकाशित हुआ। इस कॉलम में वे समकालीन सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को हास्य के उल्टे चश्मे से देखते थे, जिससे पाठकों को हंसी के साथ गहरा संदेश मिलता था।
तारक मेहता ने अपने करियर में ८० से अधिक किताबें लिखीं। इनमें से कई उनके कॉलम पर आधारित थीं, जबकि तीन किताबें उनके लेखों के संकलन थीं।
एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी लेखन शैली के बारे में कहा था कि 'दुनिया ने उंधा चश्मा' कॉलम के जरिए समाज की कमियों को हल्के-फुल्के व्यंग्य से उजागर करना उनका उद्देश्य है। उन्होंने कहा, "मैं मुद्दों को उल्टे चश्मे से देखता हूं, ताकि लोग हंसते-हंसते सोचें। हास्य कटु नहीं, बल्कि मिठास भरा होना चाहिए, जो दिल को छूए और बदलाव लाए।"
वे गुजराती थिएटर के भी प्रमुख व्यक्तित्व थे और कई हास्य नाटकों का अनुवाद किया। उनकी लेखनी में हल्का-फुल्का व्यंग्य था, जो समाज की कमियों पर चुटकी लेता था, पर कभी कटु नहीं होता। २०१५ में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री सम्मान से नवाजा।
साल २००८ में निर्माता असित कुमार मोदी ने उनके इसी कॉलम पर आधारित धारावाहिक 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' शुरू किया, जो सोनी सब चैनल पर प्रसारित होता है। यह शो भारत के सबसे लंबे चलने वाले कॉमेडी सीरियल्स में से एक है और गोकुलधाम सोसाइटी के किरदारों के माध्यम से रोजमर्रा की जिंदगी की हंसी-मजाक दिखाता है।
शो में तारक मेहता का किरदार पहले शैलेश लोधा ने निभाया। तारक मेहता की लेखनी ने न केवल गुजराती साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि टीवी के जरिए पूरे देश में हंसी का संदेश फैलाया।
तारक मेहता का निधन १ मार्च २०१७ को लंबी बीमारी के बाद ८७ वर्ष की आयु में अहमदाबाद में हुआ।