क्या 'द बंगाल फाइल्स' की स्क्रीनिंग में बाधा आ रही है? आईएमपीपीए ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की

सारांश
Key Takeaways
- फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' की स्क्रीनिंग में बाधा आ रही है।
- आईएमपीपीए ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है।
- फिल्म को सीबीएफसी से मंजूरी मिली है, फिर भी प्रदर्शन नहीं हो रहा।
- यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा है।
- राज्य सरकार कानून व्यवस्था में असफल रही है।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' को लेकर उत्पन्न विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईएमपीपीए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस मामले में तात्कालिक हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
आईएमपीपीए का कहना है कि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से वैधानिक मंजूरी प्राप्त होने के बावजूद, पश्चिम बंगाल में इसके सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक लगाई जा रही है।
संस्थान का कहना है कि राज्य सरकार ने फिल्म पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इसके प्रदर्शन में बाधाएँ उत्पन्न की जा रही हैं।
पत्र में उल्लेख है कि पश्चिम बंगाल में 'द बंगाल फाइल्स' को दर्शकों तक पहुँचने से रोका जा रहा है, जिससे न केवल दर्शकों का अधिकार प्रभावित हो रहा है, बल्कि निर्माता और वितरक भी डर और दबाव का सामना कर रहे हैं।
राज्य सरकार कानून व्यवस्था और आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने में असफल रही है, जो किसी भी रचनात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए आवश्यक है।
आईएमपीपीए ने यह भी उल्लेख किया है कि फिल्म के निर्माण में बड़ा निवेश किया गया है, जिसकी भरपाई केवल इसके प्रदर्शन से संभव है।
यदि इस प्रकार की बाधाएँ जारी रहीं, तो इससे निर्माताओं, वितरकों और सम्पूर्ण फिल्म उद्योग को गंभीर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। ऐसी स्थिति न केवल कला और सिनेमा के विकास को प्रभावित करेगी, बल्कि यह फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया की वैधता पर भी सवाल उठाएगी।
पत्र के अंत में आईएमपीपीए ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वे इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप करें और यह सुनिश्चित करें कि 'द बंगाल फाइल्स' जैसी प्रमाणित फिल्मों को देश के किसी भी हिस्से में निर्बाध रूप से प्रदर्शित किया जा सके।
संस्थान ने कहा है कि यह केवल एक फिल्म का मामला नहीं है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और रचनात्मकता के सम्मान से जुड़ा एक व्यापक मुद्दा है।