क्या वर्धन पुरी को अमरीश पुरी के निधन से पहले का वो पल हमेशा याद रहेगा?

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क्या वर्धन पुरी को अमरीश पुरी के निधन से पहले का वो पल हमेशा याद रहेगा?

सारांश

अमरीश पुरी के पोते वर्धन पुरी ने अपने दादा के निधन से पहले का एक भावनात्मक पल साझा किया है। उन्होंने दादा-दादी के रिश्ते की गहराई और उस पल की मिठास को याद किया है, जो अब उन्हें हमेशा याद रहेगा। जानें वर्धन की भावनाएं और उस पल का महत्व।

Key Takeaways

  • प्यार और रिश्ते जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
  • यादें हमारे प्रियजनों के साथ बिताए समय की हमेशा एक खजाना होती हैं।
  • जिंदगी की नाजुकता को समझना आवश्यक है।
  • परिवार का महत्व हमेशा बनाए रखें।
  • भावनाएं हमारे जीवन को गहराई प्रदान करती हैं।

मुंबई, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अमरीश पुरी के पोते, वर्धन पुरी ने हाल ही में दिग्गज अभिनेता के निधन से ठीक पहले का एक भावनात्मक किस्सा साझा किया।

वर्धन ने इंस्टाग्राम पर अपने दादा-दादी, अमरीश पुरी और उर्मिला की कुछ काले और सफेद तस्वीरें साझा कीं। इन तस्वीरों के साथ वर्धन ने एक किस्सा लिखा, जो जनवरी 2005 में अमरीश पुरी के निधन से कुछ दिन पहले का था।

उन्होंने बताया कि एक सुबह, वह जल्दी उठकर अपने दादा-दादी से जिम के मोजे उधार लेने के लिए उनके कमरे में गए थे, लेकिन वहां जो उन्होंने देखा, वह उन्हें पूरी जिंदगी याद रहेगा।

वर्धन ने आगे कहा कि जब वह दादा-दादी के कमरे में गए, तो देखा कि दोनों सुकून की नींद में सो रहे थे। उन्होंने सोते समय भी एक-दूसरे का हाथ थामा हुआ था। दोनों की सांसें एक साथ चल रही थीं और उनके चेहरों पर हल्की मुस्कान थी। यह देखकर उन्हें एहसास हुआ कि वह कितने बूढ़े हो गए हैं। उनके दिल में अचानक दादा-दादी को खोने का एक डर बैठ गया।

वर्धन ने पोस्ट में दिवंगत दादी के लिए भी प्यार और भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने लिखा, 'मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं, दादी। आपको गए हुए 8 साल हो गए हैं, लेकिन परिवार का कोई भी ऐसा पल नहीं होता जब हमें आपकी मौजूदगी महसूस न होती हो। आप हर सांस में हमारे साथ हैं। जब मैं सो नहीं पाता, तो आपकी मीठी आवाज में गाई हुई लोरियां सुनाई देती हैं। जब मैं अकेलापन महसूस करता हूं, तो आपकी चूड़ियों की खनक कानों में गूंजती है और जब मुझे सुकून की जरूरत होती है, तो मुझे ऐसा लगता है जैसे आपकी गुलाबी नेलपॉलिश वाले नाखून मेरी पीठ पर धीरे-धीरे सहला रहे हों।'

वर्धन ने कहा, 'आपने हमें बहुत प्यार से पाला-पोसा है। दादू हमेशा कहते थे कि आप हमारे परिवार की असली हीरो हैं और आप हमेशा हमारे लिए हीरो ही रहेंगी।'

पोस्ट में वर्धन ने लिखा, 'जनवरी 2005 में, जब दादू-दादी दोनों 72 साल के थे और दादू के जाने से कुछ दिन पहले, मैं सुबह जल्दी उनके कमरे में गया था ताकि दादू के जिम के मोजे ले सकूं। लेकिन जो मैंने देखा, उसे देखकर मेरी आंखें भर आईं। दादू-दादी दोनों गहरी नींद में थे, लेकिन उनके हाथ एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए थे। उनके होंठों पर हल्की मुस्कान थी। मुझे एहसास हुआ कि वह अब पहले जितने जवान नहीं रहे और उन्हें खोने का डर मुझे बहुत ज्यादा डराने लगा। मैं उन्हें बस ऐसे ही देखता रहा।'

वर्धन ने आगे लिखा, 'उस पल मुझे यह एहसास हुआ कि जिंदगी कितनी नाजुक और अनिश्चित होती है, लेकिन प्यार हमेशा रहता है। 1 जुलाई हमारे परिवार के लिए हमेशा एक ऐसा दिन रहेगा जिसमें खुशी और दुख दोनों मिलते हैं। दादी, मैं उम्मीद करता हूं कि मैं आपको हर दिन गर्व महसूस करवा सकूं। आपका राजा बेटा।'

Point of View

यह कहना चाहूंगा कि वर्धन पुरी का यह किस्सा हमें यह एहसास दिलाता है कि रिश्तों की ताकत और प्यार का महत्व हमारे जीवन में कितना गहरा होता है। यह एक ऐसा पल है जो हमें अपने प्रियजनों के साथ बिताए समय की कदर करने की प्रेरणा देता है।
NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

अमरीश पुरी कौन थे?
अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे जिन्हें उनके अद्वितीय अभिनय के लिए जाना जाता है।
वर्धन पुरी का यह किस्सा किस बारे में है?
यह किस्सा वर्धन पुरी के दादा-दादी के रिश्ते और उनके अंतिम दिनों के बारे में है।
यह किस्सा कब का है?
यह किस्सा जनवरी 2005 का है, जब अमरीश पुरी का निधन हुआ था।
वर्धन पुरी ने इंस्टाग्राम पर क्या साझा किया?
उन्होंने अपने दादा-दादी की कुछ काले और सफेद तस्वीरें साझा कीं और एक भावनात्मक किस्सा लिखा।
इस किस्से से क्या सीख मिलती है?
इस किस्से से हमें रिश्तों की अहमियत और प्यार की नाजुकता का एहसास होता है।