क्या बीएसएफ ने 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सीमावर्ती क्षेत्रों में भव्य योग शिविर आयोजित किया?

सारांश
Key Takeaways
- योग का अभ्यास मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
- बीएसएफ का यह प्रयास सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
- योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है।
- स्थानीय समुदायों के साथ सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है।
- सामुदायिक सौहार्द को सशक्त करता है।
कोलकाता, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने उत्तर 24 परगना, नदिया, मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में भव्य योग शिविरों का आयोजन किया। इन शिविरों में बीएसएफ के अधिकारियों और जवानों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों, बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
इन शिविरों की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि सुरक्षा और सेवा के बीच योग को एक साझा मंच के रूप में स्थापित किया गया।
इन योग शिविरों का उद्देश्य योगाभ्यास को बढ़ावा देने के साथ-साथ सीमावर्ती समुदायों को योग की प्राचीन भारतीय परंपरा, इसकी वैज्ञानिक पद्धतियों और जीवन में इसके महत्व के प्रति जागरूक करना था।
बीएसएफ के योग प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में प्रतिभागियों ने व्यायाम, विभिन्न योगासन और प्राणायाम का अभ्यास किया। इसके अलावा अष्टांग योग के सिद्धांतों और इसके शारीरिक-मानसिक लाभों पर भी चर्चा की गई।
इन शिविरों के दौरान प्रतिभागियों ने योग को न केवल एक व्यायाम पद्धति, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली के रूप में अपनाने की प्रेरणा प्राप्त की। प्रतिभागियों ने योग से मिलने वाले मानसिक शांति और तनाव मुक्ति के लाभों को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया।
इस आयोजन ने सीमावर्ती इलाकों में एक सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण माहौल निर्मित किया। ग्रामीणों ने इसे न केवल स्वास्थ्य सुधार का माध्यम माना, बल्कि बीएसएफ के साथ अपने जुड़ाव का एक मानवीय अनुभव भी बताया। जवानों के लिए यह न केवल शारीरिक लचीलापन बढ़ाने वाला सत्र था, बल्कि मानसिक तनाव से राहत देने वाला भी सिद्ध हुआ।
इन शिविरों ने सीमावर्ती इलाकों में सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण माहौल का निर्माण किया। स्थानीय ग्रामीणों ने इसे स्वास्थ्य सुधार का एक अनमोल अवसर माना और बीएसएफ के साथ अपने जुड़ाव को एक मानवीय अनुभव के रूप में सराहा।
बीएसएफ दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के जनसंपर्क अधिकारी ने कहा, "योग न केवल हमारे जवानों की मानसिक स्पष्टता और शारीरिक क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि यह सीमावर्ती समुदायों के लिए भी एक स्वस्थ और संतुलित जीवन की ओर प्रेरणा देता है। इस प्रकार के आयोजन, जहां एक ओर स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाते हैं, वहीं दूसरी ओर सामुदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक मूल्यों को सशक्त बनाकर सीमावर्ती क्षेत्रों में एक सकारात्मक और सहयोगात्मक वातावरण के निर्माण में भी सहायक सिद्ध होते हैं।"