क्या सफेद होकर तेजी से झड़ रहे हैं आपके बाल? आयुर्वेद का 'दो बूंद' उपाय!
सारांश
Key Takeaways
- नास्या थेरेपी से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं।
- यह तनाव और अनिद्रा को कम करने में मदद करता है।
- नाक के मार्ग साफ होते हैं, जिससे साइनसाइटिस में आराम मिलता है।
- रात में नास्या करने से नींद गहरी आती है।
- आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में नास्या करना चाहिए।
मुंबई, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बढ़ते प्रदूषण, तनाव और अनिद्रा के कारण बालों का असमय सफेद होना और झड़ना एक गंभीर समस्या बन चुकी है। ऐसे में कई उपाय प्रभावी नहीं होते, लेकिन आयुर्वेद में इसका समाधान छिपा है।
क्या आप जानते हैं? आयुर्वेद में कुछ प्राकृतिक उपचार और दैनिक अभ्यास बालों को समय से पहले सफेद होने से रोकने, झड़ने को कम करने और आरामदायक नींद को बढ़ावा देने में सहायता कर सकते हैं।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने नास्या थेरेपी को इसके सरल और प्रभावी तरीके के रूप में पेश किया है। इसमें नाक में हर्बल तेल की बूंदें डालकर तन और मन दोनों को लाभ पहुंचाया जाता है। मंत्रालय के अनुसार, नास्या पंचकर्मा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें नाक को औषधीय तेल या हर्बल द्रव्यों से उपचारित किया जाता है।
नाक को शरीर का ऐसा ‘द्वार’ माना जाता है, जो सीधे मस्तिष्क से जुड़ा होता है। अनु तेल (एक विशेष आयुर्वेदिक तेल) की 2 बूंदें दोनों नासिका छिद्रों में डालने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। इसे सुबह या रात को सोने से पहले करना बेहतर होता है।
दो बूंद अनु तेल नाक में डालने के अनगिनत लाभ होते हैं। नास्या से सिर की नसें और रक्त संचार सुधरता है, जिससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। समय से पहले सफेद होने की प्रक्रिया रुकती है और प्राकृतिक कालापन बना रहता है। तनाव, पोषण की कमी और हार्मोनल असंतुलन से बाल झड़ते हैं। नास्या मस्तिष्क को शांत कर तनाव कम करता है, जिससे बालों का झड़ना नियंत्रित होता है। यह थेरेपी मन को शांत करती है और चिंता और अनिद्रा दूर करती है। रात में नास्या करने से नींद गहरी और बिना रुकावट वाली आती है।
नाक के मार्ग साफ होते हैं, साइनसाइटिस में आराम मिलता है और चेहरे की चमक बढ़ती है। इससे सिर दर्द, साइनस और त्वचा की समस्याओं में राहत मिलती है।
मंत्रालय सलाह देता है कि नास्या थेरेपी को आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए।