क्या कांग्रेस विधायक रफीक खान का एनडीए पर बड़ा बयान है?
सारांश
Key Takeaways
- रफीक खान का एनडीए पर बयान महत्वपूर्ण है।
- नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं कम हो गई हैं।
- भाजपा गिरिराज सिंह या सम्राट चौधरी को आगे बढ़ा सकती है।
- बिहार की जनता अब स्थिरता की खोज में है।
- महागठबंधन की एकजुटता महत्वपूर्ण है।
किशनगंज, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस विधायक रफीक खान ने एनडीए को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने यह दावा किया कि इस बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। उनका कहना है कि जब सीएम का नंबर आएगा, तो भाजपा नीतीश कुमार को नहीं, बल्कि गिरिराज सिंह या सम्राट चौधरी को मुख्यमंत्री बनाएगी।
रफीक खान ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं कहा था कि भाजपा के लिए नीतीश बाबू का दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो चुका है। उन्होंने इसे बहुत दृढ़ता से कहा था, लेकिन बाद में वही लोग सीएम नीतीश कुमार को वापस अपने साथ ले आए। लेकिन इस बार परिस्थिति पूरी तरह से अलग है। इस बार वे नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे। जब मुख्यमंत्री चुनने का समय आएगा, तो भाजपा गिरिराज सिंह या सम्राट चौधरी को आगे बढ़ाएगी।"
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब यह समझ चुकी है कि भाजपा और जदयू का संबंध मजबूरी का है, न कि भरोसे का। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार का रिकॉर्ड स्वयं यह बताता है कि वे कभी इधर, कभी उधर होते हैं। ऐसे में भाजपा द्वारा उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाना एक गलत धारणा है।
कांग्रेस विधायक ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार की लोकप्रियता अब पहले जैसी नहीं रही। आज लोग विकास के साथ स्थिरता की अपेक्षा करते हैं। जो बार-बार पाला बदलता है, जनता उस पर भरोसा नहीं करती।
जनशक्ति जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेज प्रताप यादव पर पूछे गए सवाल के जवाब में रफीक खान ने कहा, "इस सवाल का सही उत्तर राजद के किसी नेता से पूछना ज्यादा उपयुक्त होगा, लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि हम पूरी तरह से महागठबंधन के साथ खड़े हैं।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और महागठबंधन के अन्य दल बिहार की जनता की उम्मीदों पर खरे उतरने के लिए पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। यह चुनाव जनता के हक और उनके भविष्य का चुनाव है। हम सब एकजुट हैं और बिहार में बदलाव की आवाज बुलंद हो रही है।
रफीक खान ने आगे कहा कि एनडीए में अंदरुनी मतभेद स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। एक ओर भाजपा अपने नेता को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है, जबकि नीतीश कुमार अपनी कुर्सी को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन इस बार जनता सब कुछ देख रही है। उन्हें अब झूठे वादों में नहीं फंसाया जा सकता।