क्या सर्दियों में आंखों पर टॉर्चर नहीं करना चाहिए? आयुर्वेद में नजर की कमजोरी दूर करने के उपाय क्या हैं?
सारांश
Key Takeaways
- त्रिफला का उपयोग आंखों के रुखापन को कम करता है।
- आंवला का सेवन आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए लाभकारी है।
- देसी घी आंखों की देखभाल के लिए आवश्यक है।
- हर 20 मिनट में दूरी पर देखना आंखों की थकान को कम करता है।
- कंप्यूटर पर काम करते समय पलकों को झपकाना न भूलें।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों का मौसम केवल शरीर के लिए नहीं, बल्कि आंखों के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण समय होता है। इस मौसम में आंखों में रुखापन की समस्या बढ़ जाती है, जिससे दृष्टि पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसलिए, आंखों की देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है।
आयुर्वेद के अनुसार, आंखें शरीर की आंतरिक स्थिति का प्रतीक मानी जाती हैं। पित्त का बढ़ना, तनाव, प्रदूषण, नींद की कमी, पाचन की समस्या, अत्यधिक ठंड और गलत आहार का असर सबसे पहले आंखों पर पड़ता है। इसलिए इन्हें स्वस्थ रखना आवश्यक है। त्रिफला का उपयोग न केवल पाचन समस्याओं के लिए, बल्कि आंखों के लिए भी लाभकारी है।
त्रिफला को नेत्र-औषधि माना जाता है। रात को त्रिफला पाउडर को पानी में भिगोकर सुबह उसे छानकर आंखों को धोने से रुखापन कम होता है और खुजली से राहत मिलती है। साथ ही, देसी घी का सेवन भी आंखों के लिए लाभप्रद है। इसे रोजाना एक चम्मच के साथ लेना चाहिए।
अगर आंखों में कोई मलबा फंस जाए या लालिमा हो जाए, तो देसी घी को काजल की तरह हल्का लगाना चाहिए। इससे आंखें तनावमुक्त होंगी और मलबा बाहर निकल जाएगा। रात को सोने से पहले तलवों की मालिश और कान के पीछे घी लगाना भी मददगार है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए दिन में खाली पेट आंवला का सेवन करें। आंवला चूर्ण को गर्म पानी में मिलाकर या ताजा आंवला का रस पीने से लाभ होता है। आंवला में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार है। साथ ही, हर 20 मिनट में 20 सेकेंड के लिए 20 फीट की दूरी पर देखने से आंखों की थकान कम होती है।
स्क्रीन पर काम करते समय अपनी पलकों को झपकाना न भूलें। कंप्यूटर पर काम करते समय हम अक्सर पलकों को झपकाना भूल जाते हैं, जिससे आंखों पर बुरा असर पड़ता है। शुद्ध पलाश या गुलाब जल की बूंदें आंखों में डालने से प्रदूषण से होने वाली जलन और खुजली कम होती है।