क्या अचानक होती है डायबिटीज की परेशानी? ये आदतें देती हैं बुलावा
सारांश
Key Takeaways
- संतुलित खानपान का ध्यान रखें।
- नियमित व्यायाम करें।
- तनाव को प्रबंधित करें।
- पर्याप्त नींद लें।
- गलत समय पर खाने से बचें।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की जीवनशैली ऐसी हो गई है कि संतुलित खानपान और व्यायाम दोनों में कमी आ गई है। प्रतिस्पर्धा और समय की कमी ने हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर बीमारियों के शिकार होने लगता है।
वर्तमान में, डायबिटीज सबसे तेजी से बढ़ती हुई बीमारी बन गई है, जो बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में देखी जा रही है। यह धारणा कि डायबिटीज केवल मीठे खाने से होती है, सही नहीं है। वास्तव में, हमारी रोजमर्रा की आदतें ही डायबिटीज को आमंत्रित करती हैं।
डायबिटीज एक लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्या है, जिसमें ग्लूकोज में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, जो पैंक्रियाज से संबंधित है। पैंक्रियाज इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन करता है, और जब यह कम या बिल्कुल नहीं बनाता है, तब रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने लगती है। सिर्फ मीठा ही नहीं, गलत समय पर खाया गया हर पौष्टिक भोजन भी डायबिटीज का कारण बन सकता है। जंक फूड, तला हुआ खाना, मैदा और डिब्बाबंद उत्पादों का सेवन भी डायबिटीज के प्रमुख कारणों में से एक हैं।
आजकल, हम सारा दिन बैठकर काम करते हैं और चलने की संख्या बहुत कम हो गई है। यह डायबिटीज का मुख्य कारण है। कम शारीरिक गतिविधि से शर्करा रक्त में बनी रहती है, जिसका उपयोग शरीर नहीं कर पाता। नींद की कमी भी हॉर्मोन असंतुलन को जन्म देती है।
यदि हम पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो यह इंसुलिन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। नींद हमारे शरीर के सिस्टम को पुनः प्रारंभ करने में सहायक होती है। निरंतर तनाव लेना भी डायबिटीज को आमंत्रित करता है, क्योंकि तनाव के समय कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो रक्त दबाव और शर्करा के स्तर को प्रभावित करता है।
बार-बार खाने की आदत भी डायबिटीज का एक कारण बन सकती है। बार-बार खाने से इंसुलिन को आराम नहीं मिलता है। जब पेट को खाना पचाने में 2 घंटे लगते हैं, तब फिर से खाना खाना इंसुलिन और रक्त में शर्करा को बढ़ाने का कारण बनता है।