क्या एम्स के अध्ययन में हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में दो दवाओं का संयोजन प्रभावी है?

सारांश
Key Takeaways
- दो दवाओं का संयोजन हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में प्रभावी है।
- अध्ययन में 1,200 से अधिक मरीजों का परीक्षण किया गया।
- 70 प्रतिशत से अधिक मरीजों का ब्लड प्रेशर नियंत्रण में आया।
- इन गोलियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
- यह अध्ययन स्वास्थ्य नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण एशियाई लोगों, विशेषकर भारतीयों के लिए, हाई ब्लड प्रेशर का उपचार एक नई अध्ययन के अनुसार, दो ब्लड प्रेशर की दवाओं वाली एक गोली के माध्यम से सुरक्षित और अधिक प्रभावी बन गया है। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा की गई एक अध्ययन में सामने आई।
इस अध्ययन को सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल (सीसीडीसी) और इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूके के सहयोग से किया गया था, जिसमें तीन अलग-अलग दवा संयोजनों की तुलना की गई। इन संयोजनों में एम्लोडिपिन प्लस पेरिंडोप्रिल, एम्लोडिपिन प्लस इंडापामाइड और पेरिंडोप्रिल प्लस इंडापामाइड शामिल थे।
साउथ एशियाई जनसंख्या पर किए गए इस अध्ययन में भारत के 32 अस्पतालों में अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से ग्रसित 1,200 से अधिक मरीज शामिल किए गए थे।
नेचर मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह जानकारी दी गई कि "तीनों संयोजन ब्लड प्रेशर कम करने में समान रूप से प्रभावी थे और मरीजों के लिए सुरक्षित थे।"
अध्ययन के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि दोनों दवाओं के किसी भी संयोजन का उपयोग करने से 6 महीने बाद ब्लड प्रेशर में कमी आई। इसमें 24 घंटों में मापने पर लगभग 14/8 एमएमएचजी और क्लिनिक में लगभग 30/14 एमएमएचजी की गिरावट देखी गई।
एम्स दिल्ली में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अंबुज रॉय ने कहा, "लगभग 70 प्रतिशत रोगियों का ब्लड प्रेशर नियंत्रण में आ गया, जो कि वर्तमान राष्ट्रीय औसत से एक महत्वपूर्ण सुधार है। इसके साथ ही, ये गोलियां सुरक्षित और उपयोग में सरल थीं। यह अध्ययन हाई ब्लड प्रेशर की बेहतर देखभाल के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करता है।"
सीसीडीसी के कार्यकारी निदेशक डॉ. दोराईराज प्रभाकरन ने कहा, "यह अध्ययन दर्शाता है कि दो दवाओं का मिश्रण एक दैनिक गोली के रूप में भारतीय और दक्षिण एशियाई मरीजों में ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने का एक सरल और प्रभावी तरीका हो सकता है।"
हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख जोखिम कारक है और अकेले भारत में 30 करोड़ से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। इसका समय पर और प्रभावी उपचार हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी फेलियर को रोक सकता है।
अध्ययन के परिणामों ने दिखाया कि किसी भी दोहरी दवा चिकित्सा से लगभग 70 प्रतिशत मरीज 140/90 एमएमएचजी से नीचे के रिकमंडेड ब्लड प्रेशर लक्ष्य तक पहुँच गए, जो कि भारत की वर्तमान औसत नियंत्रण दर से पाँच गुना अधिक है।
तीन प्रतिशत से भी कम मरीजों ने उपचार रोकने के लिए गंभीर दुष्प्रभावों की सूचना दी।
प्रभाकरन ने कहा, "ये निष्कर्ष डॉक्टरों और नीति निर्माताओं को मार्गदर्शन करने में सहायता कर सकते हैं। यदि इन गोलियों को भारत की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया जाए और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध कराया जाए, तो यह ब्लड प्रेशर नियंत्रण में काफी सुधार कर सकती हैं।"