क्या अल्सर को छोटी-मोटी समस्या समझकर नजरअंदाज करना सही है?
सारांश
Key Takeaways
- अल्सर को हल्की समस्या न समझें।
- सही खानपान और जीवनशैली से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
- पेट की जलन को कम करने के लिए नियमित रूप से खाएं।
- तनाव कम करना और पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है।
- गाय का दूध और हल्दी का इस्तेमाल फायदेमंद है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अधिकांश लोग अल्सर को हल्की एसिडिटी मानकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि हाइपर एसिडिटी ही अल्सर का प्रारंभिक संकेत होती है। यदि बार-बार पेट में जलन, दर्द, खट्टी डकारें, गैस, भूख में कमी या वजन में गिरावट जैसे लक्षण दिखाई दें, तो इसे आसान समझकर न छोड़ें।
अल्सर शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे मुंह, पेट, और आंतों में उत्पन्न हो सकता है, लेकिन सामान्यतः हम आमाशय और आंतों के अल्सर के बारे में चर्चा करते हैं। जब पेट में बनने वाला तेज अम्ल दीवारों को नुकसान पहुंचाने लगता है, तब यह घाव या फोड़ा जैसा बन जाता है। यह अम्ल इतना प्रभावी होता है कि यह लोहे की ब्लेड को भी गलाने की क्षमता रखता है, जिससे पेट के ऊतकों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
अल्सर का मुख्य कारण गलत खानपान, अत्यधिक चाय-कॉफी, तला-भुना, खट्टा, मसालेदार खाना, शराब और तनावपूर्ण जीवनशैली है। गुस्सा, चिंता, ईर्ष्या और बेचैनी भी शरीर में अम्ल की मात्रा बढ़ाते हैं। जब समस्या बढ़ जाती है तो पेट की जलन छाती तक पहुंच जाती है, उल्टी होने लगती है, पाचन बिगड़ जाता है, और कभी-कभी मल में खून भी दिखाई देने लगता है। इससे शरीर कमजोर होता है और मन चिड़चिड़ा हो जाता है।
अल्सर को सही आहार और जीवनशैली के जरिए काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। पत्ता गोभी और गाजर का जूस पेट की सूजन और घाव को भरने में सहायक होते हैं। गाय का घी, गाय का दूध, हल्दी वाला दूध, बादाम का दूध, सहजन के पत्ते का पेस्ट और नारियल पानी पेट को सुकून देते हैं और घाव भरने में मदद करते हैं। मुलेठी भी अल्सर के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है, यह आमाशय को शांत करती है और घाव भरने में सहायता करती है।
खाने में छाछ, हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन, कच्चे केले की सब्जी, पालक का रस और जवारों का रस पेट को आराम देते हैं। अल्सर में मैदा, जंक फूड, चाय, कॉफी, सोडा और शराब को पूरी तरह से बंद करना चाहिए। हर दो घंटे में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाना खाने से पेट की जलन कम होती है। तनाव को कम करना, समय पर खाना और पूरी नींद लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है।