क्या बार-बार प्यास लगना और मुंह सूखना सामान्य है? जानें आयुर्वेद क्या कहता है

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क्या बार-बार प्यास लगना और मुंह सूखना सामान्य है? जानें आयुर्वेद क्या कहता है

सारांश

क्या आपको बार-बार प्यास लगती है या मुंह सूखता है? ये सामान्य नहीं हैं। जानें आयुर्वेद के अनुसार इसके पीछे के कारण और उपाय।

Key Takeaways

  • मुंह का सूखापन शरीर के असंतुलन का संकेत है।
  • लार की कमी से पानी पीने पर भी सूखापन महसूस होता है।
  • आयुर्वेद में इसके घरेलू उपाय हैं जैसे घृत पान।
  • ऑयल पुलिंग मुंह की सूखापन को कम करता है।
  • आंवला और धनिया स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मौसमी बदलाव और जीवनशैली में परिवर्तन के कारण बार-बार प्यास लगना और मुंह सूखना एक आम समस्या बन गई है। अक्सर इसे पानी की कमी या मौसम के प्रभाव के रूप में देखा जाता है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, ये शरीर के असंतुलन का संकेत हैं।

कई बार पानी पीने के बाद भी मुंह का सूखापन महसूस होता है। इसका कारण पानी की कमी नहीं, बल्कि लार की कमी होता है। लार की कमी के कारण पानी पीने के बाद भी मुंह सूखने की समस्या बनी रहती है, जिसे अधिकतर लोग नजरअंदाज कर देते हैं।

मुंह का सूखापन और लार का कम बनना केवल असहजता नहीं, बल्कि पाचन, दांत, गला और संपूर्ण स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आयुर्वेद में इसे मुख शोष कहा गया है, जिसमें मुंह के अंदर लार का उत्पादन कम हो जाता है। लार मानव शरीर के लिए अन्य अंगों की तरह आवश्यक है। यह मुंह को गीला रखने, दांतों की सुरक्षा, भोजन का पाचन और पाचन तंत्र को संक्रमण से बचाने में मदद करती है।

आयुर्वेद के अनुसार, मुंह का सूखना और लार की कमी का संबंध वात, पित्त और अग्नि के असंतुलन से है। वात दोष के असंतुलन से शरीर में रूखापन बढ़ता है, विशेषकर सर्दियों में जब वात की मात्रा बढ़ जाती है, वहीं पित्त दोष जलन और गर्मी को बढ़ाता है। इन तीनों के असंतुलन से ही मुंह सूखने और लार की कमी की समस्या उत्पन्न होती है।

इस स्थिति में आयुर्वेद में कुछ घरेलू उपाय सुझाए गए हैं, जिनसे समस्या के लक्षणों को कम किया जा सकता है। घृत पान प्रभावी रहेगा। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में घी डालकर पीने से शरीर की और मुंह की शुष्कता कम होगी।

इसके अतिरिक्त, मुलेठी का चूर्ण भी राहत देगा। इसे शहद के साथ मिलाकर दिन में 2 बार लेने से गले को ठंडक मिलती है, शरीर की गर्मी कम होती है और लार का उत्पादन बढ़ता है। इसके अलावा, ऑयल पुलिंग को मुंह की सूखापन के लिए सर्वोत्तम उपाय माना गया है। दिन में दो बार मुंह में तेल रखकर कुल्ला करने से दांतों और मुंह की सूखापन कम होती है। इससे मुंह की लार ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं।

इसके अलावा, आंवला का रस और धनिए का पानी भी इस समस्या में सुधार लाने में सहायक हैं। आंवला का रस पित्त को शांत करता है और लार बनाने में मदद करता है, जबकि धनिए का पानी पेट की जलन को कम करता है और शरीर की शुष्कता को दूर करता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बदलती जीवनशैली और मौसमी बदलावों के कारण स्वास्थ्य मुद्दों का बढ़ना एक गंभीर समस्या है। आयुर्वेद का ज्ञान इस संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण है और हमें इसे अपने जीवन में शामिल करने की आवश्यकता है।
NationPress
18/12/2025

Frequently Asked Questions

बार-बार प्यास लगना सामान्य है?
नहीं, यह शरीर के असंतुलन का संकेत हो सकता है।
आयुर्वेद में मुंह सूखने का क्या कारण है?
यह वात, पित्त और अग्नि के असंतुलन से जुड़ा है।
क्या घरेलू उपायों से मदद मिल सकती है?
हाँ, घृत पान और मुलेठी का चूर्ण जैसे उपाय प्रभावी हैं।
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