क्या चाय की चुस्की के साथ सेहत का भी ख्याल रखना संभव है?
सारांश
Key Takeaways
- चाय का सेवन सही मात्रा में करें।
- सुबह खाली पेट चाय न पिएं।
- दूध और चीनी कम करें।
- हर्बल चाय का सेवन करें।
- भोजन के तुरंत बाद चाय न पिएं।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में चाय केवल एक पेय पदार्थ नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति, भावनात्मक संबंध और रोजमर्रा की थकान को दूर करने का एक साधन है। यहाँ लोग दिन की शुरुआत चाय की प्याली के साथ करते हैं, और कई लोग दिन में 4 से 5 बार चाय का आनंद लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह आपकी सेहत पर कैसे प्रभाव डालती है?
आयुर्वेद के अनुसार, चाय उतनी साधारण नहीं है जितनी नजर आती है। आयुर्वेद इसे तामसिक पेय मानता है। यह शरीर और मन की ऊर्जा को असंतुलित कर सकता है, विशेष रूप से यह पित्त और वात दोष को बढ़ा सकता है। इसके परिणामस्वरूप, अधिक चाय पीने से एसिडिटी, कब्ज, दिल की धड़कन तेज होना, नींद की कमी और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि चाय का पूरी तरह से परित्याग करें, बल्कि इसे पीने का तरीका और मात्रा सही होनी चाहिए।
सबसे पहले, सुबह उठते ही खाली पेट चाय पीना आयुर्वेद में अनुशंसा नहीं की गई है। यह जठराग्नि को कमजोर कर सकता है, जिससे गैस, एसिडिटी और पाचन में समस्याएँ आ सकती हैं। बेहतर यह है कि सुबह गुनगुना पानी, शहद-नींबू या साधारण पानी के साथ चाय का सेवन करें।
लेकिन ज्यादा दूध और चीनी वाली चाय न पिएं, क्योंकि यह कफ बढ़ा सकती है, जिससे भारीपन और सुस्ती महसूस होती है। दिन में दो-तीन कप से ज्यादा चाय पीने से शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी हो सकती है, इसलिए सीमित मात्रा में चाय का सेवन करें।
भोजन के तुरंत बाद चाय पीने की आदत भी नुकसानदायक होती है। इससे भोजन में मौजूद आयरन और अन्य पोषक तत्वों का सही अवशोषण नहीं हो पाता है। रात को सोने से पहले चाय पीने से नींद में बाधा आती है और दिल की धड़कन भी बढ़ सकती है। इसलिए समय भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि चाय की मात्रा।
यदि आप चाय पीने के शौकीन हैं, तो इसे हेल्दी बनाने के लिए कई आयुर्वेदिक तरीके हैं। तुलसी की चाय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, अदरक वाली चाय पाचन में सुधार करती है, दालचीनी शुगर को नियंत्रित करती है, और इलायची पाचन के साथ मुंह की दुर्गंध को दूर करती है। ऐसी हर्बल चाय दूध और चीनी के बिना लेना सबसे अच्छा माना जाता है। आप चाहें तो चीनी की जगह शहद या थोड़ा गुड़ का उपयोग कर सकते हैं। सौंफ वाली चाय एसिडिटी के लिए बढ़िया है, और गर्मियों में पुदीने वाली चाय ठंडक और राहत देती है।
इसके अलावा, चाय के साथ तला-भुना न खाएं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को ज्यादा चाय नहीं देनी चाहिए। यदि आपको सिरदर्द, बेचैनी या नींद की कमी महसूस होती है, तो तुरंत चाय की मात्रा कम कर दें।