क्या चक्रासन आंखों से लेकर रीढ़-कमर के लिए फायदेमंद है?

सारांश
Key Takeaways
- चक्रासन से शरीर की लचीलापन बढ़ती है।
- यह कमर दर्द से राहत दिलाता है।
- आंखों की रोशनी में सुधार करता है।
- मानसिक तनाव को कम करता है।
- नियमित अभ्यास से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस) योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक शांति और सक्रियता को भी बढ़ावा देता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण योग आसन है चक्रासन, जिसे 'व्हील पोज' या 'उर्ध्व धनुरासन' भी कहा जाता है। यह आसन शरीर को पहिए के आकार में मोड़कर किया जाता है, जो रीढ़, कमर, आंखों सहित पूरे शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है।
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, चक्रासन से कमर और रीढ़ की समस्याएं दूर होती हैं, आंखों की रोशनी में सुधार होता है, कब्ज से राहत मिलती है, और तनाव-चिंता कम होती है। यह शरीर को अनेक लाभ पहुँचाता है।
'चक्र' का अर्थ है पहिया और 'आसन' का मतलब मुद्रा होता है। इस आसन में शरीर को पीछे की ओर मोड़कर पहिए जैसा आकार दिया जाता है। यह पीठ, हाथ, पैर और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है, साथ ही शरीर की लचीलापन और मुद्रा में सुधार करता है। योग विशेषज्ञों के अनुसार, नियमित अभ्यास स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
चक्रासन रीढ़ को लचीला बनाता है और कमर दर्द से राहत दिलाने में सहायक है। यह आंखों की मांसपेशियों को मजबूत करता है और रोशनी बढ़ाने में मदद करता है। कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। यह मानसिक तनाव और चिंता को कम कर शांति प्रदान करता है। इसके अलावा, यह मांसपेशियों को मजबूत कर शरीर की सक्रियता को बढ़ाता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि चक्रासन करने की सही विधि क्या है। इसके अभ्यास के लिए सबसे पहले पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। अपने पैरों को घुटनों से मोड़ें और पैरों को कूल्हों के पास लाएं।
दोनों हाथों को सिर के पास ले जाएं, हथेलियां जमीन पर और उंगलियां कंधों की ओर हों। इसके बाद, सांस लेते हुए हथेलियों और पैरों पर जोर देकर शरीर को ऊपर उठाएं। सिर को आराम से पीछे की ओर लटकाएं। 10 से 20 सेकंड तक इस मुद्रा में बने रहना चाहिए और सामान्य रूप से सांस लेते रहना चाहिए। फिर धीरे-धीरे स्थिति में वापस आना चाहिए।
नियमित चक्रासन से न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि चक्रासन कई लाभ प्रदान करता है, लेकिन इसके अभ्यास से पहले कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए। चक्रासन को खाली पेट करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या क्रोनिक दर्द से पीड़ित लोगों को इसे न करने की सलाह दी जाती है।