क्या चेक रिपब्लिक में हेपेटाइटिस-ए के मामलों में बढ़ोतरी चिंता का कारण है?

सारांश
Key Takeaways
- हेपेटाइटिस-ए के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है।
- प्राग में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
- सरकार ने विशेष सफाई अभियानों की शुरुआत की है।
- बेघर लोगों के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- हाथों की सफाई महत्वपूर्ण है।
प्राग, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पिछले 15 वर्षों में चेक गणराज्य में हेपेटाइटिस-ए के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (एसजेडयू) के अनुसार, इस वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच 1,053 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में केवल 168 मामले रिपोर्ट किए गए थे। 2024 में कुल 636 मामले सामने आए।
इस वर्ष सबसे अधिक मामले प्राग में देखे गए हैं। यहाँ हेपेटाइटिस-ए से प्रभावित मरीजों की संख्या 370 है। इसके अलावा, सेंट्रल बोहेमिया क्षेत्र में 181 और मोरावियन-सिलेसियन क्षेत्र में 113 मामले रिपोर्ट किए गए हैं।
यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ईसीडीसी) ने मध्य यूरोप में संक्रमण के तेजी से बढ़ने की चेतावनी दी है। उन्होंने यह भी बताया कि स्लोवाकिया, ऑस्ट्रिया और हंगरी में भी ऐसी ही स्थिति देखी जा रही है।
ईसीडीसी की रिपोर्ट पर, एसजेडयू की निदेशक बारबोरा माकोवा ने जून में कहा था कि चेक गणराज्य में स्थिति गंभीर नहीं है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
उन्होंने रोकथाम के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। कहा, "हाथों की सफाई बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग उन क्षेत्रों में विशेष कदम उठा रहे हैं जहां बीमारी फैलने का खतरा अधिक है। इनमें गरीब बस्तियाँ, बेघर लोगों के स्थान और नशा करने वाले समुदाय शामिल हैं। ऐसे स्थानों पर विशेष सफाई अभियान और बीमारी रोकने के उपाय किए जा रहे हैं ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में विशेष रूप से बेघर लोगों और उच्च जोखिम वाले समूहों को वैक्सीन दी जा रही है। इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए हैं।
यह ध्यान देने योग्य है कि हेपेटाइटिस ए एक वायरल बीमारी है जो लिवर को प्रभावित करती है। यह गंदे पानी, दूषित खाद्य पदार्थ या किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क से फैलती है। इस बीमारी को संक्रामक पीलिया भी कहा जाता है। यह कभी-कभी लिवर फेल्योर या मृत्यु का कारण भी बन सकती है।