ब्लोटिंग और सूजन क्यों होती है? आयुर्वेद के प्रभावशाली उपायों से जानें
सारांश
Key Takeaways
- अग्निमांद्य पाचन शक्ति में कमी का संकेत है।
- जल्दी खाना खाने से ब्लोटिंग बढ़ सकती है।
- आयुर्वेदिक नुस्खे प्रभावी हैं।
- योग और प्राणायाम से पाचन में सुधार होता है।
- तनाव से भी पेट फूलने की समस्या हो सकती है।
नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आजकल अनेक लोग खाने के बाद पेट में फूलने, भारीपन, डकारें आने और जलन जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसे आम मान लिया जाता है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार यह अग्निमांद्य (पाचन शक्ति) की कमी का संकेत है। जब भोजन ठीक से नहीं पचता, तब शरीर में अधपचे भोजन से बने विषाक्त तत्व जमा होने लगते हैं।
आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से, जब आंतों में गैस का उत्पादन अधिक होता है या पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है, तब पेट फूलने लगता है और आंतों में हल्की सूजन उत्पन्न होती है।
ब्लोटिंग और इंफ्लेमेशन के पीछे आपकी आदतें जिम्मेदार होती हैं, जैसे जल्दी खाना, भोजन को ठीक से न चबाना और खाने के दौरान हवा का पेट में जाना। जंक और प्रोसेस्ड फूड में मौजूद प्रिजर्वेटिव्स आंतों में सूजन का कारण बनते हैं। अत्यधिक चाय, कॉफी या गैस वाले पेय भी पेट में गैस बढ़ा देते हैं। इसके अलावा, तैलीय और मसालेदार भोजन पाचन अग्नि को कमजोर कर देता है। कम पानी पीना या भोजन के तुरंत बाद पानी पीना भी पाचन रसों को पतला कर देता है। तनाव और चिंता भी पेट पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कई लोगों को लैक्टोज या ग्लूटेन पचाने में कठिनाई होती है, जिससे तुरंत गैस और ब्लोटिंग होने लगती है। देर रात खाना और खाने के तुरंत बाद सो जाना भी इस समस्या को बढ़ाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, जब अग्नि मंद हो जाती है, तब आम दोष उत्पन्न होता है और यही कई बीमारियों की जड़ बनता है। इसलिए ब्लोटिंग और सूजन को रोकने के लिए पाचन अग्नि को संतुलित रखना आवश्यक है। इसके लिए कुछ आसान घरेलू नुस्खे बेहद प्रभावी होते हैं। जैसे भोजन के बाद अजवाइन में थोड़ा काला नमक मिलाकर लेना तुरंत गैस को कम करता है। सौंफ का पानी पाचन को बेहतर बनाता है और अदरक आंतों की सूजन को कम करता है। हींग का गुनगुना पानी गैस और डकार से राहत देता है। रात में त्रिफला चूर्ण लेने से आंतें साफ रहती हैं और कब्ज नहीं होता। हल्दी वाला दूध शरीर की सूजन को घटाता है। पुदीना और जीरा पानी भी पेट हल्का रखने में अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं।
योग और प्राणायाम जैसे पवनमुक्तासन, वज्रासन और कपालभाति पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं और ब्लोटिंग से राहत प्रदान करते हैं। साथ ही, जीवनशैली में कुछ परिवर्तन अपनाना बहुत आवश्यक है, जैसे भोजन को हमेशा धीरे-धीरे चबाकर खाना, रात का भोजन हल्का रखना और सोने से कम से कम दो घंटे पहले खाना। भोजन के तुरंत बाद लेटने के बजाय थोड़ी देर टहलना लाभदायक होता है। रोजाना योग या हल्का व्यायाम भी काफी मदद करता है।