क्या दिल की ज्यादा 'धक-धक' जानलेवा हो सकती है? इसे सामान्य रखने के लिए अपनाएं ये सरल तरीके

सारांश
Key Takeaways
- दिल की धड़कन का सामान्य रहना जरूरी है।
- तनाव और अस्वास्थ्यकर आदतें धड़कन को प्रभावित करती हैं।
- प्राणायाम और योग से दिल को स्वस्थ रखा जा सकता है।
- आयुर्वेदिक उपायों का सेवन करें।
- डॉक्टर से संपर्क करना न भूलें।
नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल की धड़कन का सामान्य रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है, परंतु कभी-कभी यह अचानक धक-धक करने लगती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे दिल किसी समस्या का सामना कर रहा है। हालांकि, व्यायाम, दिमाग के संकेत या गर्भवती होने की अवस्था में यह सामान्य है। यदि यह बार-बार हो रहा है, पसीना आ रहा है और शरीर ठंडा पड़ जाता है, तो यह खतरनाक हो सकता है।
दिल की धड़कन में अनियमितता तनाव, शराब, सिगरेट का सेवन, खून की कमी, उच्च रक्तचाप और थायराइड असंतुलन से होती है। हार्ट अटैक के खतरे की स्थिति में भी दिल तेजी से धड़कता है।
लंबे समय तक ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज करना गंभीर हो सकता है। दिल की धड़कन को सामान्य बनाए रखने के लिए प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम करें। गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। इससे दिल की धड़कन की गति संतुलित रहेगी।
इसके अलावा, दिल की धड़कन तेज होने पर ठंडे पानी का इस्तेमाल करें। ठंडा पानी पीएं और अपने चेहरे को धोएं। यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
आयुर्वेदिक उपायों के तहत, रोजाना सुबह खाली पेट तुलसी और शहद या अर्जुन की छाल का सेवन कर सकते हैं। सुबह तुलसी की कुछ पत्तियों को शहद के साथ लें, जबकि अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पिएं। आयुर्वेद में अर्जुन की छाल को दिल के लिए अमृत माना गया है। यह दिल के अनेक विकारों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।
गिलोय और अश्वगंधा भी दिल की धड़कन को सामान्य रखने में सहायक होते हैं। ये तनाव को कम करते हैं, जिससे दिल पर दबाव नहीं पड़ता। इसके साथ ही, कैफीन युक्त पेय पदार्थों से बचें और पैक्ड पेय जैसे डिब्बाबंद जूस से परहेज करें।