क्या गाली देने से ताकत और हिम्मत बढ़ती है? शोध में दावा, 'ये एक कैलोरी-न्यूट्रल'
सारांश
Key Takeaways
- गाली देना एक जैविक प्रतिक्रिया हो सकता है।
- यह शारीरिक ताकत को बढ़ा सकता है।
- गाली देने से एड्रेनालिन का स्तर बढ़ता है।
- यह प्रभाव उन लोगों में अधिक होता है जो कम गालियां देते हैं।
- यह सामाजिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। यदि आपने कभी दर्द में, भारी वजन उठाते समय या अचानक गुस्से में गाली दी है और उसके बाद खुद को थोड़ी अधिक ताकतवर या हिम्मत से भरा पाया है, तो यह महज संयोग नहीं हो सकता। हालिया वैज्ञानिक अनुसंधान यह दर्शाता है कि गाली देना शरीर की छुपी हुई ताकत और सहनशक्ति को थोड़े समय के लिए सक्रिय कर सकता है। इसका मतलब यह है कि यह आदत केवल भावनात्मक विस्फोट नहीं, बल्कि एक जैविक प्रतिक्रिया भी हो सकती है।
इस अध्ययन का नेतृत्व ब्रिटेन के कील यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक डॉ. रिचर्ड स्टीफेंस ने किया। उनके अनुसार, गाली देना एक प्रकार का "न्यूरोलॉजिकल ट्रिगर" है, जो शरीर को अचानक सतर्क कर देता है। डॉ. स्टीफेंस के शब्दों में, "गाली देना वास्तव में एक कैलोरी-न्यूट्रल, बिना दवा वाला, कम लागत वाला और हर समय उपलब्ध ऐसा औजार है, जो आवश्यकता पड़ने पर प्रदर्शन को बढ़ा सकता है।"
शोध में यह पाया गया कि जब प्रतिभागियों से ठंडे पानी में हाथ डालकर सहनशक्ति मापी गई या फिर साइकिल और ग्रिप-शक्ति जैसे परीक्षण कराए गए, तो गाली देने की अनुमति मिलने पर वे अधिक समय तक दर्द सहन कर पाए और उनकी ताकत में हल्की लेकिन स्पष्ट बढ़ोतरी देखी गई। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका संबंध शरीर की "फाइट-या-फ्लाइट" प्रतिक्रिया से है। गाली देने से हृदय गति बढ़ती है, एड्रेनलिन का स्तर ऊपर जाता है, और मस्तिष्क दर्द को कुछ समय के लिए कम गंभीर मानने लगता है।
दिलचस्प बात यह है कि यह प्रभाव उन्हीं व्यक्तियों में अधिक दिखा जो रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत अधिक गाली-गलौज नहीं करते। जो लोग अक्सर गालियां देते हैं, उनके लिए इसका असर कम हो सकता है, क्योंकि मस्तिष्क उस उत्तेजना का आदी हो जाता है। इसका मतलब है कि गाली देना अगर "विशेष परिस्थिति का हथियार" बने, तभी इसका वैज्ञानिक लाभ सामने आता है।
हालांकि, शोधकर्ता यह भी स्पष्ट करते हैं कि इसका मतलब यह नहीं कि गाली देना सामाजिक या नैतिक रूप से सही हो जाता है। यह अध्ययन केवल यह समझने का प्रयास कर रहा है कि भाषा और भावनाएं हमारे शरीर के प्रदर्शन को कैसे प्रभावित करती हैं। सार्वजनिक या पेशेवर माहौल में गाली देना के नकारात्मक सामाजिक परिणाम हो सकते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।