क्या जयराम रमेश ने शांति बिल पर केंद्र सरकार को ट्रंप एक्ट कहकर तंज कसा?
सारांश
Key Takeaways
- जयराम रमेश ने शांति विधेयक को 'ट्रंप एक्ट' कहकर तंज कसा।
- शांति विधेयक में न्यूक्लियर लाइबिलिटी नियमों में बदलाव किए गए हैं।
- इस विधेयक का उद्देश्य अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करना है।
- कांग्रेस नेता ने इस विधेयक को पारित करने के तरीके पर सवाल उठाए हैं।
- सरकार ने बिना पर्याप्त बहस के यह निर्णय लिया।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर जोरदार हमला किया है। इस बार उनका ध्यान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) 2026 और हाल ही में भारत में पारित शांति विधेयक पर है।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में अमेरिका के वित्तीय वर्ष 2026 के लिए नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं। यह कानून लगभग 3,100 पन्नों का है और इसके पृष्ठ संख्या 1,912 पर अमेरिका और भारत के बीच न्यूक्लियर लाइबिलिटी नियमों के संयुक्त आकलन का उल्लेख किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इसी सप्ताह संसद में जल्दबाजी में शांति विधेयक क्यों पारित किया। जयराम रमेश के अनुसार, इस विधेयक के माध्यम से सिविल लाइबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों को हटाया गया है, जबकि यह कानून उस समय संसद ने सर्वसम्मति से पारित किया था।
कांग्रेस नेता का आरोप है कि शांति विधेयक को संसद में पारित कराने का उद्देश्य अमेरिका के साथ न्यूक्लियर सहयोग को फिर से मजबूत करना था। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि यह कदम प्रधानमंत्री मोदी और उनके कभी अच्छे दोस्त रहे ट्रंप के रिश्तों को पुनर्स्थापित करने के लिए उठाया गया है।
जयराम रमेश ने शांति कानून का नाम बदलकर इसे 'ट्रंप एक्ट' कहने का भी सुझाव दिया। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि शांति का पूरा नाम अब 'रिएक्टर उपयोग और प्रबंधन वादा अधिनियम (ट्रंप अधिनियम)' होना चाहिए।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि न्यूक्लियर दायित्व से संबंधित प्रावधानों में बदलाव से भारत की सुरक्षा और जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न उठते हैं। सरकार ने यह निर्णय बिना पर्याप्त चर्चा और पारदर्शिता के लिया है, जो राष्ट्रीय हितों के लिए चिंताजनक है।
कांग्रेस नेता ने अमेरिका के आधिकारिक दस्तावेज का लिंक भी साझा किया और कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि शांति बिल के पीछे अंतरराष्ट्रीय दबाव और समझौते की भूमिका रही है।