क्या गर्म पानी पीने और गुनगुने पानी से स्नान करने से पीरियड्स के दर्द को कम किया जा सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- गर्म पानी पीने से दर्द में राहत मिलती है।
- गुनगुने पानी से स्नान मांसपेशियों को आराम देता है।
- पौष्टिक नाश्ता कमजोरी को दूर करता है।
- हल्की एक्सरसाइज से दर्द में कमी आ सकती है।
- सिकाई दर्द में राहत का एक पुराना और प्रभावी तरीका है।
नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महिलाओं के जीवन में पीरियड्स एक स्वाभाविक और आवश्यक शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन इसके साथ आने वाला दर्द कभी-कभी दैनिक गतिविधियों को कठिन बना देता है। पेट में ऐंठन, कमर दर्द, थकान, चिड़चिड़ापन और भारिता जैसी समस्याएं आम हैं। आयुर्वेद इसे शरीर में वात दोष के असंतुलन से जोड़ता है, जबकि विज्ञान के अनुसार यह दर्द गर्भाशय में बनने वाले प्रोस्टाग्लैंडीन नामक रसायन के कारण होता है, जो मांसपेशियों को सिकोड़ देता है।
ऐसे में कुछ सरल आदतें अपनाकर इस दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
पीरियड्स के दौरान दिन की शुरुआत यदि गर्म पानी से की जाए, तो शरीर को तुरंत राहत मिलती है। आयुर्वेद में गर्म पानी को अग्नि यानी पाचन शक्ति को मजबूत करने वाला माना गया है। सुबह उठते ही एक गिलास गर्म पानी पीने से शरीर के अंदर जमी ठंडक दूर होती है और गर्भाशय की मांसपेशियां धीरे-धीरे खुलने लगती हैं। विज्ञान भी मानता है कि गर्म पानी ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है, जिससे पेट में जकड़न कम होती है। इससे सूजन घटती है और दर्द धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसमें हर्बल चाय भी लाभकारी होती है।
नहाने का तरीका भी पीरियड्स के दर्द पर असर डालता है। ठंडे पानी से नहाने पर मांसपेशियां और अधिक सिकुड़ सकती हैं, जिससे दर्द बढ़ता है। वहीं गुनगुने या गर्म पानी से नहाने पर शरीर को सुकून मिलता है। जब गर्म पानी पेट और कमर पर पड़ता है, तो वह प्राकृतिक सिकाई का काम करता है। आयुर्वेद में इसे स्वेदन कहा जाता है, यानी शरीर से जकड़न निकालना। विज्ञान के अनुसार, गर्म पानी नसों को शांत करता है और दर्द को कम करता है।
पीरियड्स के दौरान सुबह का नाश्ता बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। इस समय शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा और पोषण की आवश्यकता होती है। यदि नाश्ता हल्का लेकिन पौष्टिक हो, तो कमजोरी और चक्कर जैसी समस्याएं कम होती हैं। आयुर्वेद में ऐसे भोजन की सलाह दी जाती है जो शरीर को ताकत दे और आसानी से पच जाए। केले, सूखे मेवे, बीज और हरी सब्जियां शरीर में जरूरी तत्वों की कमी को पूरा करती हैं। विज्ञान के अनुसार मैग्नीशियम और पोटेशियम मांसपेशियों को आराम देने में मदद करते हैं, जिससे ऐंठन कम होती है। फल और प्राकृतिक खाद्य पदार्थ सूजन को भी घटाते हैं।
पीरियड्स में हल्की एक्सरसाइज या योग शरीर के लिए लाभकारी साबित होता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि योग से वात दोष संतुलित रहता है। सुबह कुछ मिनट की स्ट्रेचिंग या आसान योगासन करने से पेट की मांसपेशियों में खून का बहाव बढ़ता है। विज्ञान भी मानता है कि हल्की एक्सरसाइज से एंडोर्फिन नामक हार्मोन निकलता है, जो शरीर का प्राकृतिक दर्द निवारक होता है। इससे मन हल्का और शरीर आराम में आ जाता है।
पीरियड्स के दर्द में सिकाई एक पुराना लेकिन बहुत असरदार तरीका है। गर्म पानी की बोतल या हॉट वाटर बैग को पेट पर रखने से तुरंत राहत महसूस होती है। आयुर्वेद इसे बाहरी ऊष्मा चिकित्सा मानता है, जो अंदर की जकड़न को खोलता है। विज्ञान के अनुसार, गर्माहट से नसें फैलती हैं और खून का प्रवाह तेज होता है, जिससे दर्द पैदा करने वाले रसायन कम हो जाते हैं।