क्या गुरुवायुर के हाथियों को 31 दिवसीय चिकित्सा थेरेपी से मिलेगा कायाकल्प?

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क्या गुरुवायुर के हाथियों को 31 दिवसीय चिकित्सा थेरेपी से मिलेगा कायाकल्प?

सारांश

गुरुवायुर में 31 दिवसीय चिकित्सा चिकित्सा की शुरुआत हुई है, जिसमें 22 हाथियों को विशेष उपचार दिया जाएगा। यह प्राचीन परंपरा के तहत आयोजित किया जा रहा है, जिसमें हाथियों के स्वास्थ्य और कल्याण का ध्यान रखा जा रहा है।

Key Takeaways

  • 31 दिवसीय चिकित्सा कार्यक्रम का आयोजन गुरुवायुर में किया जा रहा है।
  • गुरुवायुर देवासम के अध्यक्ष ने कार्यक्रम के विवरण साझा किए।
  • हाथियों को विशेष खुराक और देखभाल दी जा रही है।
  • यह चिकित्सा मानसून के दौरान कायाकल्प उपचार की तरह है।
  • गुरुवायुर का हाथी शिविर स्वर्ण जयंती मना रहा है।

गुरुवायुर, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गुरुवायुर देवासम द्वारा संचालित श्री कृष्ण मंदिर के अंतर्गत हाथियों के लिए 31 दिवसीय कायाकल्प चिकित्सा (रिजूविनेशन थेरेपी) मंगलवार सुबह आरंभ हुई।

इस अवसर पर स्थानीय विधायक के. राजन उपस्थित रहे, जो इसी जिले से हैं और वर्तमान में राजस्व मंत्री का पद भी संभाल रहे हैं।

गुरुवायुर देवासम के अध्यक्ष वीके विजयन ने बताया कि गुरुवायुर के पुन्नथुरकोट्टा में कुल 36 हाथी हैं, जिनमें से इस बार 22 हाथियों को चिकित्सा दी जा रही है।

पुन्‍नाथुरकोट्टा, जो मंदिर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अपनी स्वर्ण जयंती मना रहा है। यह विशेष हाथी परिसर 50 साल पहले खोला गया था।

विजयन ने कहा कि इस महीने भर चलने वाले आयोजन पर गुरुवायुर देवसोम द्वारा 12.5 लाख रुपए का व्यय होगा।

उन्होंने बताया, "हर दिन सुबह सभी हाथियों को तेल से नहलाने के साथ दिन की शुरुआत होती है। उनके खाने का एक सख्त नियम है। हम उन्हें चावल, रागी, दाल, चवन्नप्राश और डॉक्टरों द्वारा बताए गए खनिज देते हैं। यह महीने भर का उपचार कई मायनों में मानसून के दौरान इंसानों के कायाकल्प उपचार जैसा है।"

यह हाथी शिविर 11.5 एकड़ भूमि पर स्थित है और यह प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर के स्वामित्व में है, जिसे वैष्णव परंपरा के 108 अभिमान क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है।

मंदिर का मुख्य चित्र चार भुजाओं वाले विष्णु का है, जो पंचजन्य शंख, सुदर्शन चक्र, कौमोदकी गदा और तुलसी की माला के साथ कमल धारण किए हुए हैं। यह भगवान विष्णु के उस रूप को दर्शाता है, जो कृष्ण के जन्म के समय उनके माता-पिता वासुदेव और देवकी को दिखाई दिया था।

इस मंदिर में गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है।

Point of View

बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करेगा। ऐसे आयोजनों से न केवल पशु कल्याण को बढ़ावा मिलता है, बल्कि यह समाज में जागरूकता फैलाने का भी एक माध्यम है।
NationPress
06/08/2025

Frequently Asked Questions

गुरुवायुर के हाथियों को कौन सी चिकित्सा दी जा रही है?
गुरुवायुर के हाथियों को 31 दिवसीय कायाकल्प चिकित्सा (रिजूविनेशन थेरेपी) दी जा रही है।
इस चिकित्सा कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है?
इस कार्यक्रम का उद्देश्य हाथियों के स्वास्थ्य में सुधार करना और उन्हें बेहतर देखभाल प्रदान करना है।
क्या सभी हाथियों को चिकित्सा मिलेगी?
इस बार 36 हाथियों में से 22 हाथियों को चिकित्सा दी जा रही है।
इस चिकित्सा कार्यक्रम का खर्च कितना है?
इस कार्यक्रम पर कुल 12.5 लाख रुपए का व्यय होगा।
गुरुवायुर का हाथी शिविर कहाँ स्थित है?
यह हाथी शिविर पुन्‍नाथुरकोट्टा में स्थित है, जो मंदिर से तीन किलोमीटर की दूरी पर है।