क्या हरसिंगार के पत्तों से सायटिका में राहत मिलती है?

सारांश
Key Takeaways
- हरसिंगार के पत्ते सायटिका के दर्द में मदद करते हैं।
- इसमें मौजूद औषधीय गुण नसों की सूजन को कम करते हैं।
- काढ़ा तैयार करने की विधि सरल है।
- नियमित सेवन से दर्द और सूजन में राहत मिलती है।
- आयुर्वेदिक गोलियों का सेवन भी फायदेमंद है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ने हजारों वर्षों से जड़ी-बूटियों और पौधों की शक्ति को पहचाना है। इनमें कई ऐसे पौधे हैं जिन्हें हम रोजाना अपने घरों या बगीचों में देखते हैं, लेकिन उनके छिपे हुए औषधीय गुणों के बारे में हमारी जानकारी बहुत सीमित होती है। ऐसा ही एक पौधा है हरसिंगार... जिसे अंग्रेजी में नाइट जैस्मीन कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम निक्टेन्थिस आर्बर-ट्रिस्टिस है। हरसिंगार में छोटे-छोटे सफेद फूल होते हैं जिनमें हल्का नारंगी रंग होता है। ये फूल बरसात के मौसम में खिलते हैं। यह पौधा न केवल सुंदरता में बेजोड़ है, बल्कि इसके पत्ते कई प्रकार के दर्द और बीमारियों के उपचार में भी अत्यधिक लाभकारी होते हैं।
हरसिंगार कई गंभीर बीमारियों के इलाज में भी बेहद उपयोगी माना जाता है। खास बात यह है कि वैज्ञानिक अनुसंधान में यह पुष्टि की गई है कि हरसिंगार सायटिका जैसी बीमारियों में भी प्रभावी हो सकता है।
सायटिका एक ऐसा रोग है जिसमें कमर से लेकर एड़ी तक नसों में असहनीय दर्द होता है। चलना-फिरना तो दूर, कई बार खड़े रहना भी मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी से ग्रस्त लोगों के लिए हरसिंगार किसी वरदान से कम नहीं है।
अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, हरसिंगार के पत्तों में इरिडॉइड ग्लाइकोसाइड्स, फ्लेवोनॉइड, और अल्कलॉइड्स जैसे तत्व होते हैं, जो नसों की सूजन को कम करने, दर्द को नियंत्रित करने, और रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यही कारण है कि हरसिंगार सायटिका के दर्द में राहत प्रदान करता है।
आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार, हरसिंगार के ताजे पत्तों को निर्गुण्डी के पत्तों के साथ उबालकर काढ़ा तैयार किया जा सकता है, जो सायटिका के दर्द में कारगर साबित होता है। इसके लिए सबसे पहले हरसिंगार और निर्गुण्डी के 50-50 ताजे पत्ते लेकर एक लीटर पानी में डालें। अब इस पानी को गैस पर रखकर इतना उबालें कि पानी थोड़ा सूखकर करीब 750 मि.ली. रह जाए। जब यह तैयार हो जाए, तो इसे छानकर 1 ग्राम केसर मिला दें। अब इस तैयार औषधीय पानी को किसी साफ बोतल में भरकर रख लें। इसे रोज सुबह और शाम, लगभग 150 मि.ली. पीएं। साथ ही, योगराज गुग्गल और वात विध्वंसक वटी नामक दो आयुर्वेदिक गोलियां भी सुबह-शाम ली जा सकती हैं। इनका सेवन करने से दर्द और सूजन में जल्दी राहत मिलती है।