क्या खानपान के अलावा कफ से भी मोटापा संबंधित है? जानें आयुर्वेद की राय

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क्या खानपान के अलावा कफ से भी मोटापा संबंधित है? जानें आयुर्वेद की राय

सारांश

क्या आप जानते हैं कि बढ़ता वजन केवल खानपान का परिणाम नहीं है? इसके पीछे छिपा है कफ दोष। इस लेख में जानें कैसे कफ दोष से प्रभावित होता है आपका वजन और क्या हैं इसके उपाय।

Key Takeaways

  • कफ दोष वजन बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण है।
  • आयुर्वेदिक उपाय वजन को कम करने में मदद करते हैं।
  • हल्का भोजन और प्राणायाम करें।
  • बढ़े हुए कफ को संतुलित करना आवश्यक है।
  • कफ-प्रधान मोटापा पहचानें और उपाय करें।

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में बढ़ता वजन या मोटापा एक गंभीर समस्या बन चुका है। आमतौर पर इसे खान-पान से जोड़ा जाता है, लेकिन कम लोग जानते हैं कि यह शरीर में कफ दोष के बढ़ने का परिणाम भी हो सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार, जब कफ और मेद (चर्बी) की मात्रा बढ़ती है, तब शरीर भारी महसूस होने लगता है, भूख कम लगती है, लेकिन वजन तेजी से बढ़ता है। इसे आयुर्वेद में स्थौल्य कहा जाता है।

आयुर्वेद के विशेषज्ञ बताते हैं कि कफ का गुण ठंडक, भारीपन और स्थिरता है। जब ये गुण बढ़ जाते हैं, तो पाचन धीमा हो जाता है, मेटाबॉलिज्म सुस्त पड़ता है और चर्बी जमा होने लगती है। खासकर पेट, कूल्हे और जांघों में चर्बी बढ़ना कफ-प्रधान मोटापे का लक्षण है।

कफ बढ़ने के मुख्य कारणों में ठंडी-भारी चीजें, जैसे दही, आइसक्रीम, ज्यादा दूध का सेवन, देर से सोना, कम चलना-फिरना, तला-भुना, मीठा और फास्ट फूड का अधिक सेवन शामिल हैं।

आयुर्वेद में कफ-प्रधान मोटापे के लक्षणों में सुबह शरीर भारी लगना, कम भूख लेकिन मीठा खाने की तलब, फूला-फूला चेहरा, कम पसीना आना, जल्दी थकना, सुस्ती और नींद ज्यादा आना शामिल है। कभी-कभी कब्ज की समस्या भी हो सकती है।

आयुर्वेद बताता है कि कफ को संतुलित करने पर वजन अपने आप कम हो जाता है। इसके लिए कुछ आसान उपाय हैं, जैसे दिन की शुरुआत गुनगुने पानी या नींबू-शहद के पानी से करना।

हल्के भोजन जैसे मूंग दाल, खिचड़ी, जौ, दलिया का सेवन करें। करेला, मेथी, परवल, लहसुन-अदरक, हल्दी का अधिक प्रयोग करें। मौसमी सब्जियां और फल लाभकारी हैं। मीठा, तला हुआ, दही, आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक का सेवन न्यूनतम करें।

रात का खाना हल्का और जल्दी खाएं। सुबह जल्दी उठें। सूर्य नमस्कार, कपालभाति, अग्निसार जैसे प्राणायाम करें और दिन में सोने से बचें। नियमित समय पर खाना खाएं।

कफ दोष को संतुलित करने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है और वजन स्वाभाविक रूप से कम होने लगता है। किसी भी उपाय को शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है। रात में मेथी दाना भिगोकर सुबह खाना फायदेमंद होता है। खाली पेट त्रिफला चूर्ण और दिन में छाछ में सेंधा नमक मिलाकर पीना भी लाभकारी है।

Point of View

NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

कफ दोष क्या है?
कफ दोष शरीर में ठंडक, भारीपन और स्थिरता का गुण है।
कफ-प्रधान मोटापे के लक्षण क्या हैं?
सुबह भारीपन, कम भूख, मीठा खाने की तलब, और थकान इसके लक्षण हैं।
कफ को संतुलित करने के लिए क्या करना चाहिए?
गुनगुने पानी से सुबह की शुरुआत करें और हल्का भोजन करें।
क्या आयुर्वेदिक उपाय प्रभावी होते हैं?
हाँ, आयुर्वेदिक उपाय वजन को प्राकृतिक रूप से कम करने में मदद करते हैं।
क्या मैं कफ दोष को स्वयं संतुलित कर सकता हूँ?
जी हाँ, कुछ सरल उपाय अपनाकर आप इसे संतुलित कर सकते हैं।
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