क्या खुद के खिलाफ होना 'प्रज्ञापराध' है? आयुर्वेद ने क्या सदियों पहले सिखाया, आज का विज्ञान क्या कहता है?

Click to start listening
क्या खुद के खिलाफ होना 'प्रज्ञापराध' है? आयुर्वेद ने क्या सदियों पहले सिखाया, आज का विज्ञान क्या कहता है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि बाहरी सफलता के पीछे छिपी मानसिक थकान को आयुर्वेद ने 'प्रज्ञापराध' कहा है? जानें कि कैसे आधुनिक विज्ञान भी इस सिद्धांत की पुष्टि करता है।

Key Takeaways

  • प्रज्ञापराध का मतलब है बुद्धि का अपराध।
  • आधुनिक विज्ञान भी प्रज्ञापराध की अवधारणा की पुष्टि करता है।
  • अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
  • आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा में समानताएँ हैं।

नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बाहरी रूप से सब कुछ सही प्रतीत होता है—एक सफल करियर, सोशल मीडिया पर मुस्कुराते हुए चेहरे, और अनेक उपलब्धियां। लेकिन अंदर कुछ ऐसा है जो टूटने की भावना देता है। आज के समय में कई लोग मानसिक और शारीरिक रूप से इतनी थकान का अनुभव कर रहे हैं कि उनकी नसें भी जवाब देने लगी हैं। आधुनिक भाषा में इसे 'बर्नआउट' कहा जाता है, जबकि प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद इसे 'प्रज्ञापराध' अर्थात् बुद्धि का अपराध के रूप में जानती है।

आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है- प्रज्ञापराध। यह तब होता है जब हम जानबूझकर ऐसा करते हैं जो हमारे शरीर, मन और आत्मा के लिए हानिकारक होता है। हमें पता होता है कि रात भर जागना हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है, फिर भी हम स्क्रीन पर समय बिताते रहते हैं। हम थक जाते हैं, लेकिन फिर भी खुद को और अधिक काम में लगा देते हैं। हमारा मन विश्राम चाहता है, लेकिन हम बाहरी दुनिया की उम्मीदों और उपलब्धियों के पीछे दौड़ते रहते हैं। यही है आधुनिक प्रज्ञापराध - ज्ञान तो है, लेकिन विवेक को सुनने का वक्त नहीं।

चरक संहिता में इसका स्पष्ट वर्णन है, जो यह कहता है, "स्मृति बुद्धि इन्द्रियाणां संयोगो यः स कारणम्। तं प्रज्ञापराधं प्राहुर्महर्षयः पथ्यहेतुकम्॥" (चरक संहिता, निवृत्तिप्रकरण, अध्याय 1)

इसका अर्थ है कि जब स्मृति, बुद्धि और इंद्रियों का असंगत उपयोग होता है, तो यह बीमारियों को जन्म देता है। यही कारण है कि आयुर्वेद में प्रज्ञापराध को रोग का मूल कारण माना गया है।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक 2022 की रिपोर्ट बताती है कि 'बर्नआउट' उन लोगों में ज्यादा होता है, जो बाहरी दुनिया में पूर्णता दिखाने की कोशिश में अपनी आंतरिक आवाज़ को अनसुना कर देते हैं।

न्यूरोसाइंस भी कहता है कि जब हम लगातार शरीर के संकेतों की अनदेखी करते हैं—जैसे कि भूख, नींद, थकान—तो मस्तिष्क का वह हिस्सा, जिसमें निर्णय लेने की क्षमता होती है, कमजोर हो जाता है। नतीजतन, तनाव, चिड़चिड़ापन और भावनात्मक असंतुलन की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यही आधुनिक विज्ञान भी कहता है जो आयुर्वेद हजारों वर्षों से कहता आ रहा है। सरल शब्दों में, अपने भीतर की लय को न तोड़ें।

Point of View

यह स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना अब हमारी जिम्मेदारी है। आयुर्वेद का प्रज्ञापराध की अवधारणा को समझते हुए, हमें खुद को और हमारे समाज को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना चाहिए।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

प्रज्ञापराध का क्या मतलब है?
प्रज्ञापराध का अर्थ है बुद्धि का अपराध, जब हम जानबूझकर ऐसी चीजें करते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
बर्नआउट और प्रज्ञापराध में क्या अंतर है?
बर्नआउट एक आधुनिक शब्द है जो मानसिक और शारीरिक थकान को दर्शाता है, जबकि प्रज्ञापराध आयुर्वेद की अवधारणा है जो बुद्धि के गलत उपयोग को बताता है।