क्या माइंडफुल ईटिंग से शरीर और मन को पोषण मिलता है? जानें आयुर्वेद की राय
सारांश
Key Takeaways
- आयुर्वेद में भोजन को औषधि माना गया है।
- सचेत और ध्यानपूर्वक भोजन करने से मानसिक संतुलन बनता है।
- संतुलित भोजन में सभी पोषक तत्वों का समावेश होना चाहिए।
- माइंडफुल ईटिंग से मानसिक तनाव कम होता है।
- भोजन का सही समय और मानसिक स्थिति बेहद महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद में भोजन को केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि एक औषधि माना जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि जो भी हम खाते हैं, उसका हमारे शरीर, मन और आत्मा पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि हम भोजन को सचेत और समझदारी से खाते हैं, तो यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, ऊर्जा बनाए रखने और मानसिक संतुलन को बनाए रखने में सहायता करता है।
भोजन करते समय हमारी मानसिक स्थिति भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है, जितनी कि खाने की गुणवत्ता। यदि हम तनाव में हैं या जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं, तो हमारा शरीर उसे ठीक से पचा नहीं पाता और पोषण का पूरा लाभ नहीं मिल पाता। इसलिए, आयुर्वेद में 'माइंडफुल ईटिंग' यानी सचेत और ध्यान से भोजन करने पर बल दिया गया है। खाने की हर बाइट को चबाकर और उसका स्वाद लेते हुए खाना न केवल शरीर को पोषण देता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
संतुलित भोजन में सभी प्रकार के पोषक तत्वों का समावेश होना चाहिए, जैसे कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर। इसके साथ ही, हमें ताजे और मौसमी खाद्य पदार्थों का चयन करना चाहिए।
आयुर्वेद में यह भी कहा गया है कि हमें अपने शरीर की जरूरतों के अनुसार भोजन करना चाहिए, न तो बहुत भारी और न ही बहुत हल्का। एक हल्का और सुपाच्य भोजन शरीर की अग्नि यानी मेटाबॉलिक फायर को बनाए रखता है, जिससे आप दिनभर ऊर्जावान और तंदुरुस्त रहते हैं।
भोजन न केवल शरीर को, बल्कि मन को भी संतुलित करता है। सही समय पर, संतुलित और सचेत होकर किया गया भोजन मानसिक तनाव को कम करता है, मूड को अच्छा बनाए रखता है और ध्यान क्षमता को बढ़ाता है। यह हमारे जीवन में ऊर्जा और ताजगी बनाए रखने का आसान और प्राकृतिक तरीका है।
आयुर्वेद में कहा गया है कि भोजन को औषधि समझकर, संतुलित और माइंडफुल तरीके से खाना चाहिए। जब हम यह आदत अपनाते हैं, तो न केवल हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मन और आत्मा भी प्रसन्न रहते हैं।