क्या 'मॉडरेट एक्सरसाइज' का मतलब खुद को थकाना नहीं बल्कि सक्रिय रखना है?
सारांश
Key Takeaways
- मॉडरेट एक्सरसाइज से शरीर सक्रिय रहता है।
- हर हफ्ते 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि आवश्यक है।
- हल्की गतिविधियाँ भी दिल के लिए फायदेमंद हैं।
- मॉडरेट एक्सरसाइज मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाती है।
- शारीरिक गतिविधि से मांसपेशियों में खिंचाव का खतरा कम होता है।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी में फिटनेस का अर्थ कई व्यक्तियों के लिए जिम में घंटों तक पसीना बहाना बन गया है। हालाँकि, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एचएए) की हालिया रिपोर्ट ने इस धारणा को चुनौती दी है। इसके अनुसार, लंबी और थकाऊ वर्कआउट से अधिक प्रभावी मॉडरेट इंटेंसिटी एक्सरसाइज है, जिसे मध्यम गति की नियमित शारीरिक गतिविधि कहा जाता है।
रिपोर्ट (2024 में प्रकाशित) के अनुसार, विशेषज्ञों ने बताया है कि फिटनेस का असली रहस्य केवल वजन उठाने या उच्च तीव्रता वाले प्रशिक्षण में नहीं है, बल्कि शरीर को निरंतर सक्रिय बनाए रखने में है। चाहे रोजाना तेज चलना हो, साइकिल चलाना हो, हल्की जॉगिंग करना हो या घर के कार्य करना हो, ये सभी गतिविधियाँ यदि नियमित रूप से की जाएं, तो यह दिल और दिमाग दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, वयस्कों को प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट की मॉडरेट एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसका मतलब है कि रोजाना लगभग 20–30 मिनट की हल्की शारीरिक गतिविधि आवश्यक है। यह न केवल ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है, बल्कि स्ट्रेस लेवल और इन्फ्लेमेशन को भी कम करता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि जो लोग केवल सप्ताह में एक या दो बार तीव्र वर्कआउट करते हैं, उनकी तुलना में वे लोग अधिक स्वस्थ रहते हैं जो प्रतिदिन हल्का लेकिन लगातार व्यायाम करते हैं। शरीर पर अत्यधिक दबाव डालने से अक्सर मांसपेशियों में खिंचाव, घुटनों के दर्द और दिल पर अतिरिक्त बोझ जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसके विपरीत, मॉडरेट एक्सरसाइज शरीर को धीरे-धीरे मजबूत बनाती है और संतुलन में रखती है।
रिपोर्ट में यह दिलचस्प बताया गया है कि “एक्टिव लाइफस्टाइल” की तुलना में “वर्कआउट रूटीन” अधिक महत्वपूर्ण है। इसका मतलब है कि यदि आप लिफ्ट की बजाय सीढ़ियाँ चढ़ते हैं, गाड़ी के बजाय थोड़ी दूरी पैदल चलते हैं, या टीवी देखते समय कुछ मिनट स्ट्रेचिंग करते हैं—तो यह भी दिल की सेहत के लिए उतना ही लाभदायक है जितना कि जिम में व्यायाम करना।
विशेषज्ञों का कहना है कि मॉडरेट एक्टिविटी हमारे शरीर के लिए “रिस्टोरेटिव मोशन” की तरह कार्य करती है—यह न केवल मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है बल्कि नींद की गुणवत्ता, मानसिक स्वास्थ्य और इम्यून सिस्टम पर भी प्रभाव डालती है।