क्या फाइब्रॉइड महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं? घर पर आयुर्वेदिक उपायों से कैसे राहत पा सकते हैं?

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क्या फाइब्रॉइड महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं? घर पर आयुर्वेदिक उपायों से कैसे राहत पा सकते हैं?

सारांश

महिलाओं के गर्भाशय में फाइब्रॉइड की समस्या गंभीर हो सकती है। जानिए इसके कारण, इससे जुड़ी समस्याएँ और आयुर्वेदिक उपाय जिनसे आप राहत पा सकते हैं।

Key Takeaways

  • फाइब्रॉइड गर्भाशय में उत्पन्न होती हैं और महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती हैं।
  • आयुर्वेदिक दवाएं जैसे कांचनार गुग्गुलु और शतावरी मददगार हो सकती हैं।
  • योग और जीवनशैली में सुधार से फाइब्रॉइड की समस्याओं को कम किया जा सकता है।
  • समय पर डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
  • महिलाओं को अपनी सेहत की देखभाल करनी चाहिए।

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महिलाओं का गर्भाशय अत्यंत संवेदनशील होता है और यह पूरे शरीर के सुचारू संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मासिक धर्म, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का संतुलित होना, तथा गर्भधारण के लिए परत का निर्माण जैसे आवश्यक कार्य गर्भाशय से संबंधित हैं।

हाल के समय में गर्भाशय में फाइब्रॉइड की समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे गर्भाशय की देखभाल अत्यावश्यक हो गई है।

फाइब्रॉइड गर्भाशय के विभिन्न हिस्सों में उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे कि गर्भाशय की दीवारों, आंतरिक परत, और बाहरी सतह पर भी। ये सामान्यतः गैर-कैंसरयुक्त गांठ होती हैं जो खुद ब खुद समाप्त हो जाती हैं, लेकिन यदि इनका आकार बढ़ता है, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। प्रारंभ में डॉक्टर दवाइयां देते हैं, लेकिन यदि गांठ का आकार बढ़ जाता है, तो इसे निकालने की सलाह दी जाती है। फाइब्रॉइड से पीड़ित महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे महावारी में परिवर्तन, पेट में दर्द, पाचन की समस्याएं, और गर्भधारण में कठिनाई।

आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों का उल्लेख है जो फाइब्रॉइड के दर्द से राहत दिला सकती हैं। कांचनार गुग्गुलु का उपयोग फाइब्रॉइड में लाभकारी होता है, क्योंकि यह हार्मोन के संतुलन को बनाए रखता है और गांठ के आकार को बढ़ने से रोकता है। इसे पाउडर या टैबलेट के रूप में लिया जा सकता है। शतावरी और त्रिफला चूर्ण गर्भाशय से संबंधित अनेक समस्याओं को हल करने में सहायक होते हैं। ये दोनों ही मासिक धर्म को नियमित करते हैं और गर्भधारण में सहायक आंतरिक परत को मजबूत बनाते हैं।

शतावरी को रात में दूध के साथ और त्रिफला चूर्ण को सुबह खाली पेट पानी के साथ लिया जा सकता है। अशोका अर्क भी फाइब्रॉइड के दर्द में राहत प्रदान करता है और इसके सेवन से महावारी समय पर होती है, जिससे गर्भाशय में गांठ बनने का खतरा कम होता है। इसके अतिरिक्त, हल्दी का भी सेवन फायदेमंद होता है। इसे दूध या काढ़े के रूप में लिया जा सकता है, जिससे गर्भाशय की सूजन कम होती है और हर महीने बनने वाली परतों के निर्माण में सहायता मिलती है।

फाइब्रॉइड से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार आवश्यक है। इसके लिए नियमित योग करना चाहिए। पैल्विक फ्लोर की एक्सरसाइज, जैसे किगल, ब्रिज, पेल्विक टिल्ट, बधकोण आसन, और तितली आसन, सभी गर्भाशय के संकुचन को कम करने में मदद करती हैं और रक्त का संचार सही तरीके से करती हैं।

Point of View

NationPress
15/10/2025

Frequently Asked Questions

फाइब्रॉइड क्या है?
फाइब्रॉइड गर्भाशय में उत्पन्न होने वाली गैर-कैंसरयुक्त गांठ होती है।
फाइब्रॉइड के लक्षण क्या हैं?
महावारी में बदलाव, पेट में दर्द, और गर्भधारण में कठिनाई इसके सामान्य लक्षण हैं।
फाइब्रॉइड का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?
कांचनार गुग्गुलु, शतावरी, और त्रिफला चूर्ण का सेवन फाइब्रॉइड के दर्द में राहत दिला सकता है।
क्या फाइब्रॉइड खुद ही ठीक हो सकता है?
हाँ, कई बार फाइब्रॉइड खुद ब खुद समाप्त हो जाते हैं, लेकिन यदि स्थिति गंभीर हो तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
फाइब्रॉइड से बचने के उपाय क्या हैं?
योग और सही आहार, साथ ही नियमित चेकअप से फाइब्रॉइड की समस्या से बचा जा सकता है।