क्या मौसम के अनुसार शरीर की सफाई जरूरी है? आयुष मंत्रालय ने बताया आयुर्वेदिक तरीका

सारांश
Key Takeaways
- ऋतु शोधन मौसम के अनुसार शरीर को शुद्ध करने की प्रक्रिया है।
- यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है।
- मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
- यह प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल है।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। स्वस्थ जीवन के लिए आजकल बहुत से लोग आयुर्वेद की ओर रुख कर रहे हैं। इस क्रम में, आयुष मंत्रालय ने सोमवार को इंस्टाग्राम पर एक पुरानी, परंतु अत्यंत प्रभावी आयुर्वेदिक पद्धति ऋतु शोधन के बारे में जानकारी दी।
ऋतु शोधन का सरल अर्थ है मौसम के अनुसार शरीर की सफाई। यह केवल एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं है, बल्कि शरीर और मन को ताजगी प्रदान करने का एक प्राकृतिक उपाय है।
आयुष मंत्रालय ने अपने पोस्ट में बताया कि ऋतु शोधन के अंतर्गत विरेचन (लैक्सेटिव्स) और वमन (इमेटिक्स) जैसे उपायों के माध्यम से शरीर को अंदर से शुद्ध किया जाता है।
विरेचन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा विषैले मलद्रव्यों को शरीर से बाहर निकाला जाता है। वहीं, वमन का अर्थ जानबूझकर उल्टी कराना है, जिससे पेट और फेफड़ों में जमा अवांछनीय तत्व बाहर निकल जाते हैं। ये दोनों विधियाँ आयुर्वेद में पंचकर्म का हिस्सा मानी जाती हैं।
पोस्ट में यह भी बताया गया है कि ये उपाय मौसम के अनुसार होने चाहिए, ताकि शरीर प्राकृतिक रूप से वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके।
जब शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं, तो न केवल पाचन तंत्र मजबूत होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। ऋतु शोधन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे मौसम बदलने पर सामान्य बुखार, सर्दी-जुकाम और एलर्जी जैसी समस्याओं से बचाव होता है।
इसके अलावा, यह उन व्यक्तियों के लिए भी लाभकारी है जो जीवनशैली से संबंधित समस्याओं जैसे मोटापा, अपच, त्वचा रोग या मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं।
यदि हम आयुर्वेद के सरल सिद्धांतों का पालन करें और मौसम के अनुसार अपने शरीर की देखभाल करें, तो हम न केवल बीमारियों से दूर रह सकते हैं, बल्कि एक बेहतर और संतुलित जीवन भी जी सकते हैं।
ऋतु शोधन जैसे पारंपरिक उपचार आज के समय में नई आशा बनकर उभर रहे हैं, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि पूरी तरह प्राकृतिक भी हैं।