क्या ओवरथिंकिंग आपको भी परेशान कर रही है? आयुर्वेद से जानें समाधान
सारांश
Key Takeaways
- वात दोष का संतुलन आवश्यक है।
- गर्मी और पौष्टिक भोजन का सेवन करें।
- ओवरथिंकिंग से बचने के लिए घरेलू उपाय अपनाएं।
- गहरी सांस लेना और माइंड डंप करना फायदेमंद है।
- समस्या गंभीर होने पर विशेषज्ञ से सलाह लें।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान की व्यस्त जीवनशैली में ओवरथिंकिंग, अर्थात् एक ही विचार को बार-बार दोहराना, एक सामान्य समस्या बन चुकी है। छोटी-छोटी बातें दिमाग में घूमती रहती हैं, जिससे नींद उड़ जाती है और पूरा दिन तनाव में बीतता है। इसका समाधान आयुर्वेद में है।
आयुर्वेद ओवरथिंकिंग या बार-बार एक ही बात सोचने की समस्या को मुख्यतः वात दोष के असंतुलन से जोड़ता है, जो मन को बेचैन और अस्थिर कर देता है। खास बात यह है कि आयुर्वेद के पास इस समस्या का समाधान है। सही आयुर्वेदिक उपाय और दैनिक आदतों से इस पर काबू पाया जा सकता है।
आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, ओवरथिंकिंग के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे भविष्य की चिंता, बुरी यादें, परफेक्शन का दबाव, सोशल मीडिया की तुलना, अनियमित दिनचर्या, नींद की कमी और खान-पान में गड़बड़ी। इसके कारण फोकस खत्म होता है, स्ट्रेस हार्मोन बढ़ते हैं, दिल की धड़कन तेज होती है और थकान बनी रहती है।
इस समस्या का समाधान करने के लिए वात दोष को संतुलित करना आवश्यक है। इसके साथ ही, दिमाग को स्थिर करने वाली आदतों को अपनाने की सलाह दी जाती है। इसके लिए दिनचर्या को सही ढंग से व्यवस्थित करें, गर्म और पौष्टिक भोजन का सेवन करें।
ओवरथिंकिंग से बचने के लिए कुछ आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे भी हैं। सोते समय तुलसी या कैमोमाइल की हल्की चाय पीना फायदेमंद होता है। खाने में देसी घी का इस्तेमाल करें। एक गिलास गर्म दूध में आधा-एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिलाकर पिएं। सोने से पहले तिल के तेल से सिर और तलवों की हल्की मालिश करें। हल्का मंत्र जाप या शांति संगीत सुनें और सोने-उठने का समय निश्चित करें।
ओवरथिंकिंग से राहत पाने के लिए कुछ सरल तकनीकें भी हैं। कुछ सेकंड तक गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें।
जो विचार आपके मन में चल रहे हैं, उन्हें कागज पर लिखकर 'माइंड डंप' करें। इसके लिए 5-4-3-2-1 तकनीक का प्रयोग करना फायदेमंद है। इसके अनुसार, आसपास की 5 चीजें देखें, 4 चीजें छुएं, 3 आवाजें सुनें, 2 गंध सूंघें और 1 स्वाद लें। मोबाइल, टीवी, लैपटॉप या कंप्यूटर का स्क्रीन टाइम कम करें और प्रतिदिन सुबह-शाम टहलने की आदत डालें।
विशेषज्ञों का कहना है कि विचार आना स्वाभाविक है, लेकिन हर विचार को सच मानने की आवश्यकता नहीं है। छोटी-छोटी आदतें अपनाने से दिमाग शांत और स्थिर हो जाता है। यदि समस्या बहुत गंभीर है तो किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य या मनोवैज्ञानिक से सलाह अवश्य लें।