क्या पंचकर्म शरीर को रीसेट करने का आयुर्वेदिक नुस्खा है?

Click to start listening
क्या पंचकर्म शरीर को रीसेट करने का आयुर्वेदिक नुस्खा है?

सारांश

पंचकर्म एक प्राचीन आयुर्वेदिक प्रक्रिया है, जो शरीर और मन को पुनर्स्थापित करती है। यह न केवल बिमारी के समय, बल्कि स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। जानें कैसे यह आपके जीवन में नयापन ला सकता है।

Key Takeaways

  • पंचकर्म शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है।
  • यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
  • साल में कम से कम एक बार पंचकर्म करवाना चाहिए।
  • प्राकृतिक उपचार के माध्यम से संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  • बच्चों और वृद्धों के लिए भी उपयुक्त है।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद में पंचकर्म को शरीर और मन की गहरी सफाई और रीसेट करने का एक प्राकृतिक उपाय माना जाता है। हम अक्सर बाहरी सौंदर्य पर ध्यान देते हैं, लेकिन असली चमक तब सामने आती है जब शरीर अंदर से साफ और संतुलित होता है। पंचकर्म इसी कार्य में सहायता करता है।

पंचकर्म शरीर में जमा अवशिष्ट, अतिरिक्त दोष और तनाव को निकालकर आपको हल्का, ताजा और ऊर्जावान अनुभव कराता है। इसमें पाँच प्रमुख उपचार शामिल होते हैं - वमन, virechan, बस्ती, नस्य, और रक्तमोक्षण। प्रत्येक उपचार का अपना विशेष उद्देश्य होता है और इन्हें किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह पर ही करवाना चाहिए।

सबसे पहले आता है वमन, जो विशेष रूप से कफ दोष को कम करने में सहायक है। इसमें विशेष जड़ी-बूटियों का प्रयोग करके शरीर कफ और अवांछित पदार्थ बाहर निकालता है। इसके बाद है वirechan, जो पित्त की गड़बड़ियों को संतुलित करने के लिए किया जाता है। यह शरीर से पित्तजन्य विषाक्त पदार्थों को निकालकर पाचन और त्वचा से संबंधित कई समस्याओं में राहत देता है।

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण उपचार है बस्ती, जिसे आयुर्वेद में आधा उपचार भी कहा जाता है। इसमें औषधीय तेल या काढ़े गुदा मार्ग से दिए जाते हैं, जिससे वात दोष संतुलित होता है और शरीर को गहराई से पोषण मिलता है।

चौथा उपचार है नस्य, जिसमें औषधीय तेल या घृत की कुछ बूंदें नाक में डाली जाती हैं। यह सिर, साइनस और मानसिक शांति से जुड़े लाभों के लिए जाना जाता है। अंतिम उपचार रक्तमोक्षण है, जिसमें शरीर से थोड़ी मात्रा में दूषित रक्त निकाला जाता है ताकि रक्त शुद्ध होकर त्वचा और परिसंचरण बेहतर हो सके।

पंचकर्म की एक विशेष बात यह है कि यह केवल रोग होने पर नहीं, बल्कि पहले से भी किया जा सकता है ताकि शरीर स्वस्थ और संतुलित रहे। पंचकर्म के बाद का समय 'रसायन काल' कहलाता है। इस समय च्यवनप्राश, अश्वगंधा, ब्राह्मी और शतावरी जैसी रसायन दवाएं अधिक प्रभावी मानी जाती हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, साल में कम से कम एक बार, खासकर मौसम बदलने पर पंचकर्म करवाना चाहिए। यह मन, शरीर और ऊर्जा तीनों को संतुलित कर जीवन में नयापन लाता है।

Point of View

जो न केवल रोगों के निदान में सहायक है बल्कि स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह जीवन में संतुलन और ताजगी लाने का एक प्रभावी तरीका है।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

पंचकर्म क्या है?
पंचकर्म एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर को शुद्ध करने और संतुलित करने के लिए पांच प्रमुख उपचार किए जाते हैं।
पंचकर्म के क्या लाभ हैं?
पंचकर्म से शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को निकालने, ऊर्जा बढ़ाने और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है।
क्या पंचकर्म केवल बीमारियों के लिए किया जाता है?
नहीं, पंचकर्म को स्वस्थ रहने के लिए भी किया जा सकता है।
Nation Press