क्या ये सरल आसन वजन घटाने और गैस्ट्रिक समस्याओं से राहत दिला सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- पवनमुक्तासन से पेट की समस्याओं में राहत मिलती है।
- नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- सुबह खाली पेट इसका अभ्यास करना सबसे लाभकारी है।
- कुछ व्यक्तियों को सावधानी बरतनी चाहिए।
- योगासन से मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आजकल की तेज़-तर्रार ज़िंदगी में पेट की चर्बी, गैस, कब्ज़, अपच और कमर का दर्द आम समस्याएं बन चुकी हैं। भले ही ये समस्याएं छोटी लगें, लेकिन ये बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं। ऐसे में, योगासन की मदद से इनसे छुटकारा पाया जा सकता है।
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय पवनमुक्तासन के लाभों को बताते हुए इसे एक सरल और प्रभावी आसन मानता है। इसे ‘विंड रीलिविंग पोज’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर में जमा हुए दूषित वायु को बाहर निकालकर पेट को हल्का करता है। नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र मजबूत होता है, आंतें साफ रहती हैं, पेट की अतिरिक्त चर्बी तेजी से घटती है, और कमर तथा जांघों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।
मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा पवनमुक्तासन के अभ्यास के तरीके को भी साझा करता है, जो बेहद आसान है। योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं, दोनों घुटनों को मोड़कर पैर ऊपर उठाएं, हाथों से घुटनों को पकड़कर छाती के करीब लाएं, सांस छोड़ते हुए सिर ऊपर उठाएं और ठोड़ी को घुटनों से लगाने की कोशिश करें। इस स्थिति में 22 से 30 सेकंड तक सामान्य सांस लेते रहें, फिर धीरे-धीरे सिर और पैर नीचे लाकर शवासन में विश्राम करें।
पवनमुक्तासन का सुबह खाली पेट अभ्यास करना सबसे अधिक लाभकारी होता है। हालांकि, कुछ व्यक्तियों को इस आसन को करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। प्रेग्नेंट महिलाओं, पेट में अल्सर या हर्निया के मरीजों, हाल में पेट के ऑपरेशन कराने वालों, स्लिप डिस्क या गंभीर कमर दर्द वाले लोगों को बिना विशेषज्ञ की सलाह के यह आसन नहीं करना चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज सिर न उठाएं, सिर्फ घुटनों को छाती से लगाकर अभ्यास करें। अभ्यास के दौरान शरीर पर अतिरिक्त दबाव नहीं डालना चाहिए।