क्या रात में पैरों के तलवों में जलन की वजह थकान नहीं, पित्त दोष बढ़ने का है संकेत?
सारांश
Key Takeaways
- पैरों में जलन
- आधुनिक चिकित्सा
- घरेलू उपाय
- आयुर्वेदिक नुस्खे
- जीवनशैली में सुधार
नई दिल्ली, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। रात के समय कई लोगों को पैरों के तलवों में जलन का अनुभव होता है। आमतौर पर लोग इसे थकान या गर्म मौसम का असर समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर में पित्त दोष के बढ़ने का संकेत है। जब शरीर में पित्त बढ़ता है, तब यह निचले अंगों, विशेषकर पैरों में जलन उत्पन्न करता है।
आधुनिक चिकित्सा में, डायबिटीज के कारण नसों की कमजोरी, विटामिन बी12 या आयरन की कमी, लंबे समय तक खड़े रहना, गलत जूते पहनना और मानसिक तनाव भी पैरों में जलन का कारण बनते हैं।
इसके लक्षणों में तलवों में चुभन, जलन, रात में गर्मी का बढ़ना, पैर भारी लगना या सुन्न होना शामिल हैं।
आयुर्वेद में इस समस्या का मुख्य कारण पित्त दोष बताया गया है, जबकि सहायक वात दोष भी मायने रखता है। इस स्थिति के उपचार में ठंडक देने वाले, शांत करने वाले और वात-पित्त को संतुलित करने वाले उपाय सबसे प्रभावी माने जाते हैं।
घरेलू उपायों में सबसे सरल तरीका है कि रात को ठंडे पानी या गुलाब जल में पैरों को 10 मिनट तक डुबोएं। इसके बाद एलोवेरा जेल, घी या नारियल तेल से पैरों की हल्की मालिश करें। नीम या खस के पानी से पैर धोना, पुदीना या तुलसी का शरबत पीना और हफ्ते में दो बार त्रिफला पानी से पैरों को धोना भी बहुत लाभदायक है।
कुछ खास आयुर्वेदिक नुस्खे भी सहायक हैं, जैसे घृतकुमारी (एलोवेरा) जेल में थोड़ा कपूर मिलाकर रात को तलवों पर लगाना, इससे ठंडक और राहत मिलती है। अंदरूनी गर्मी को कम करने के लिए शतावरी चूर्ण या गिलोय रस सुबह खाली पेट लिया जा सकता है। नारियल पानी और ठंडे फल जैसे सेब, तरबूज, बेल और लौकी पित्त को शांत करते हैं।
हालांकि, जीवनशैली में कुछ बदलाव आवश्यक हैं। रबर या सिंथेटिक जूते की बजाय कॉटन सैंडल पहनें, योग में शीतली प्राणायाम का अभ्यास करें और ध्यान से मन को शांत रखें। शरीर में विटामिन बी12, आयरन और कैल्शियम का संतुलन बनाए रखें। सारिवाद्यासव, अविपत्तिकर चूर्ण और गंधक रसायन जैसी औषधियां वैद्य की सलाह से ली जा सकती हैं।