क्या यूपी के राजभवन में योग के जरिए संतों और सांसदों ने ऊर्जा का संचार किया?

सारांश
Key Takeaways
- योग जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- सामूहिक योगाभ्यास से समाज में स्वास्थ्य का संचार होता है।
- योग का अभ्यास मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
- राजभवन में नियमित योग सत्र आयोजित होते हैं।
- योग को हर किसी को अपनी आदत बनानी चाहिए।
लखनऊ, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” की थीम के अंतर्गत लखनऊ स्थित राजभवन योग, विज्ञान और संस्कृति के भव्य संगम का साक्षी बना। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से आयोजित इस सामूहिक योगाभ्यास में जहां ऋषि परंपरा की झलक थी, वहीं वैज्ञानिक प्रमाणों से पुष्ट आधुनिक स्वास्थ्य चेतना की स्पष्टता भी।
राजभवन के हरे-भरे लॉन में प्रशिक्षित योगाचार्यों के निर्देशन में आयोजित इस योग कार्यक्रम में राज्यपाल स्वयं साधकों के साथ योगासन, प्राणायाम और ध्यान में शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि “योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि यह जीवनशैली, आत्मिक अनुशासन और सामूहिक कल्याण का मार्ग है।” इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विशाखापत्तनम से किए गए राष्ट्रीय योग समारोह का सजीव प्रसारण भी किया गया, जिसे सभी प्रतिभागियों ने एकाग्रता से देखा।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देशभर में 3.5 लाख से अधिक स्थानों पर “योग संगम” कार्यक्रम मनाया गया, जिसमें लगभग 5 लाख लोगों ने सामूहिक योगाभ्यास किया। राज्यपाल ने अपने संबोधन में बताया कि एक जून से 20 जून तक राजभवन में प्रतिदिन योग सत्र आयोजित किए गए, जिसमें छात्र, नागरिक, अधिकारी और कर्मचारी उत्साहपूर्वक शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि “योग को एक दिन की गतिविधि न मानें, इसे अपनी आदत, अपनी जीवनशैली बनाएं। हमें अस्पताल नहीं, स्वस्थ समाज चाहिए और वह तभी संभव है जब योग और संतुलित जीवन हमारे दैनिक व्यवहार का हिस्सा बनें।”
साथ ही, उन्होंने यह भी जानकारी दी कि राजभवन परिसर आम नागरिकों के लिए प्रतिदिन प्रातः 5 से 8 और सायं 5 से 7 बजे तक खुला रहता है। योग के साथ ही उन्होंने खेल और पोषण पर भी बल दिया।
उत्तर प्रदेश के आयुष एवं खाद्य सुरक्षा मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने कहा कि “प्रधानमंत्री के निरंतर प्रयासों से आज योग भारत की सीमाओं से बाहर जाकर विश्व चेतना का हिस्सा बन चुका है। यह आत्मा और शरीर के बीच सेतु है, जो संतुलन और समरसता की नींव रखता है।”
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर गोरखपुर में भी योग, साधना और सामाजिक सहभागिता का अद्भुत संगम देखने को मिला। महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार योग साधकों से खचाखच भरा था, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सान्निध्य में जनप्रतिनिधि, संत, छात्र, चिकित्सक और आमजन एक साथ योगमय हुए।
इस आयोजन की विशेषता रही गोरखपुर के लोकप्रिय सांसद रवि किशन शुक्ला की सहभागिता, जिन्होंने मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा करते हुए योगाभ्यास किया। उन्होंने योग को भारतीय आत्मा का विज्ञान बताया और कहा, “योग केवल शरीर नहीं, विचारों को भी शुद्ध करता है। यह भारत की मिट्टी की ऐसी अमूल्य देन है, जिसे अब पूरा विश्व नमन करता है। योग हमें भीतर से जोड़ता है, जागरूक बनाता है।”
मुख्यमंत्री योगी ने अपने संबोधन में योग को भारत की ऋषि परंपरा का गौरव बताया और कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज योग को वैश्विक मान्यता मिली है। यह सिर्फ व्यायाम नहीं, भारतीय जीवन दर्शन का प्रतिबिंब है, जो मानवता के कल्याण का मार्ग है।”
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, नगर निगम अधिकारी, छात्र-छात्राएं, चिकित्सक, स्वयंसेवी संगठन और बड़ी संख्या में नागरिक शामिल हुए। प्रशिक्षित योगाचार्यों के नेतृत्व में सभी प्रतिभागियों ने ताड़ासन, वज्रासन, अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे योगासनों का अभ्यास किया। अंत में एक सामूहिक संकल्प लिया गया, 'योग को दैनिक जीवन में अपनाने, समाज को स्वस्थ बनाने, और' स्वस्थ भारत, समर्थ भारत' के लक्ष्य की ओर अग्रसर होने का।'
--- राष्ट्र प्रेस
विकेटी/एएस